#GretaThunbergExposed: किसान आंदोलन के नाम वैश्विक प्रोपेगेंडा ग्रुप से जुड़कर भारत को बदनाम कर रहीं ग्रेटा थनबर्ग
ग्रेटा ने ट्वीट में लिखा, `हम भारत में किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुट हैं.` इसके बाद दूसरे ट्वीट के जरिए उनकी असली मंशा साफ हो गई. उन्होंने एक डॉक्यूमेंट साझा किया, जिसमें भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कार्ययोजना साझा की गई है. इस ट्वीट में पांच चरणों में दबाव बनाने की बात कही गई है.
नई दिल्ली: पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन की दिशा में काम करने वाली ग्रेटा थनबर्ग ने केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शनों के प्रति समर्थन व्यक्त किया है. थनबर्ग ने ट्वीट किया, 'हम भारत में किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुट हैं.' लेकिन इस ट्वीट के पीछे की वजह और उसके पीछे छिपा मकसद हैरान करने वाला है. जिसमें ग्रेटा थनबर्ग उस वैश्विक प्रोपेगेंडा का हिस्सा बनी दिख रही हैं, जो किसान आंदोलन के नाम पर भारत को बदनाम करना चाहता है.
ग्रेटा थनबर्ग का ट्वीट
ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट में भारत की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को फासीवादी पार्टी करार दिया है. जो इस बात की तरफ साफ इशारा करता है कि वो किसी प्रोपेगेंडा मुहिम का हिस्सा हैं. उन्होंने ट्वीट के जरिए ही बताया कि भारत सरकार पर किस तरह से दबाव बनाया जा सकता है और इसके लिए उन्होंने ट्विटर पर ही पूरी प्लानिंग भी साझा की है. जो बड़े प्रोपेगेंडा मुहिम से जुड़ा नजर आ रहा है. ग्रेटा ने ट्वीट में लिखा, 'हम भारत में किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुट हैं.' इसके बाद दूसरे ट्वीट के जरिए उनकी असली मंशा साफ हो गई. उन्होंने एक डॉक्यूमेंट साझा किया, जिसमें भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कार्ययोजना साझा की गई है. इस ट्वीट में पांच चरणों में दबाव बनाने की बात कही गई है.
हालांकि थोड़े समय बाद उनका दूसरा ट्वीट अनुपलब्ध बताने लगा. यानी कि उसे डिलीट कर दिया. उस ट्वीट का स्क्रीनशॉट देखें.
अब बताते हैं कि आखिर उस ट्वीट में वो पांच बातें थी क्या? और किस तरह से किसान आंदोलन के नाम पर दबाव बनाए जाने की रणनीति बनी थी. ये योजना काफी पहले ही बन गई थी, यानी कि 25 जनवरी से भी पहले. देखिए क्या-क्या बातें लिखी हैं.
1- ऑन ग्राउंड प्रोटेस्ट में हिस्सा लेने पहुंचें. किसान आंदोलन के साथ एकजुटता प्रदर्शन करने वाली तस्वीरें ई मेल करें. ये तस्वीरें 25 जनवरी तक भेजें. (दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन)
2-डिजिटल स्ट्राइक: #AskIndiaWhy हैशटैग के साथ फोटो/वीडियो मैसेज 26 जनवरी से पहले या 26 जनवरी तक ट्विटर पर पोस्ट कर दिए जाएं.
3- 4-5 फरवरी को ट्विटर पर तूफान लाने की प्लानिंग, यानी किसान आंदोलन से जुड़ी चीजों, हैशटैग और तस्वीरों को ट्रेंड कराने की योजना. इसके लिए तस्वीरें, वीडियो मैसेज 5 फरवरी तक भेज दिए जाएं. आखिरी दिन 6 फरवरी का होगा.
4- स्थानीय प्रतिनिधि से संपर्क करें, इससे भारतीय सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनेगा.
5- दो बड़े भारतीय व्यापारिक घरानों को कमजोर करना. जो मोदी राज में दुनिया के गरीबों का उत्पीड़न कर रहे हैं. और जमीनें, मेहनत पर कब्जा कर रहे हैं.
ग्रेटा का ये ट्वीट साफ बता रहा है कि आखिर 26 जनवरी से जो कुछ हो रहा है, वो क्या है. और इसमें किस तरह से वैश्विक शक्तियां जुड़ी हुई हैं.
भारत के खिलाफ इंटरनेशनल प्रोपेगेंडा
भारत के खिलाफ चलाए जा रहे इंटरनेशनल प्रोपेगेंडा पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि भारत को निशाना बनाकर चलाए जा रहे अभियान कभी सफल नहीं होंगे। हमें खुद पर विश्वास है, हम अपने दम पर खड़े रहेंगे. भारत इस साजिश को कामयाब नहीं होने देगा.
क्या ग्रेटा ये जानती हैं कि वो किनका समर्थन कर रही हैं?
बता दें कि ग्रेटा थनबर्ग दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए जानी जाती हैं और इसके लिए उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की भी आलोचना की थी. लेकिन हमारा यहां सवाल ये है कि क्या ग्रेटा थनबर्ग को ये पता है कि जिन किसानों का उन्होंने समर्थन किया, वही किसान सीमित संसाधनों की वजह से भारत में पराली जला कर प्रदूषण फैलाते हैं और पिछले दिनों किसानों ने सरकार के सामने ये मांग भी रखी थी कि पराली जलाने पर कार्रवाई के नियमों को खत्म कर देना चाहिए और सरकार ने किसानों के दबाव में आकर ये मांगें मान भी ली थीं.
अब यहां दो अहम बातें हैं- पहली तो ये कि अगर ग्रेटा थनबर्ग इन सबके के बारे में जानती हैं तो क्या पर्यावरण के लिए उनका प्रेम झूठा और दिखावटी है? और दूसरी बात ये कि अगर उन्हें इसकी जानकारी नहीं है तो फिर उन्होंने बिना रिसर्च किए ही आंदोलन कर रहे किसानों को अपना समर्थन कैसा दे दिया?
भारत के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश
इन दोनों बातों को समझने के बाद एक गंभीर सवाल ये भी उठता है कि फिर क्यों ना ये माना जाए कि किसान आंदोलन को मिल रहा ये समर्थन सोची समझी रणनीति का हिस्सा है और पूरी तरह से प्रायोजित है? और मार्केटिंग कंपनियां अपनी कमाई और भारत की बदनामी के लिए ग्रेटा थनबर्ग और रिआना जैसी सेलिब्रिटीज का इस्तेमाल कर रही हैं.