Abu Dhabi : संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की राजधानी अबू धाबी में बने पहले हिंदू मंदिर में श्रद्धालुओं ने बड़ा रिकॉर्ड बना दिया है. जनता के लिए मंदिर को खोलने के एक ही महीने के अंदर साढ़े तीन लाख से ज्यादा भक्तों ने अबू धाबी में बने पहले पत्थर निर्मित हिंदू मंदिर में दर्शन किए है. मंदिर अधिकारियों की तरफ से यह जानकारी दी गई है. 


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में इस मंदिर का उद्घाटन किया गया था. इस प्रतिष्ठित मंदिर को एक मार्च को विजिटर के लिए खोला गया था. मंदिर के प्रवक्ता ने बताया, कि पहले महीने में लगभग 3,50,000 भक्त और आगंतुक थे, जिनमें से 50,000 हर शनिवार-रविवार आते थे.


 


मंगलवार से रविवार तक हर शाम गंगा आरती


बताया जा रहा है, कि सोमवार को मंदिर निजी प्रार्थनाएं आयोजित करता है और विजिटर के लिए बंद रखता है, जिसका मतलब है, कि परिसर मार्च में 31 दिनों में से केवल 27 दिनों के लिए आम लोगों के लिए खुला था. साथ ही उन्होंने बताया, कि मंगलवार से रविवार तक हर शाम, स्वामीनारायण घाट के तट पर शाम साढ़े सात बजे गंगा आरती की जाती है, जो भारत से लाए गए गंगा और यमुना के पवित्र जल का इस्तमाल करके बनाया गया है.


 


700 करोड़ रुपये की लागत 


बता दें, कि भव्य मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी को एक लोकार्पण समारोह के दौरान किया गया था. जिसमें 5,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे. मंदिर का निर्माण बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था ने लगभग 700 करोड़ रुपये की लागत से दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल रहबा के पास अबू मुरीखा में 27 एकड़ में किया है.


 


अयोध्या के राम मंदिर की तरह है


राजस्थान से लाई गईं 18 लाख ईंटों और 1.8 लाख घन मीटर बलुआ पत्थर से निर्मित यह अबू धाबी का पहला हिंदू मंदिर है, जिसे अयोध्या के राम मंदिर की तरह ही वास्तुकला की नागर शैली में बनाया गया है. बीएपीएस हिंदू मंदिर पूरे खाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़ा है.


 


दुबई में तीन दूसरे हिंदू मंदिर


बता दें, कि यूएई के दुबई में तीन दूसरे हिंदू मंदिर हैं. प्रवक्ता ने बताया, “चूंकि मंदिर थोड़ा बाहरी इलाके में और रेगिस्तान के बीच में है, इसलिए विजिटरों को मंदिर तक आसानी से आने की सुविधा देने के लिए शहर से सार्वजनिक बस सेवा शुरू की गई है. 


 


प्रधानमंत्री मोदी की 2015 में खाड़ी देश की दो दिवसीय यात्रा के दौरान, संयुक्त अरब अमीरात ने अबू धाबी में एक मंदिर के निर्माण के लिए भूमि आवंटित की. इस यात्रा का काफी कूटनीतिक महत्व था, क्योंकि इंदिरा गांधी के बाद मोदी 34 सालों में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस खाड़ी देश का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं.