How yoga spread in Iraq: पिछले 3 दशकों से हिंसा और अराजकता की आग में झुलस रहे मुस्लिम मुल्क इराक में योग हजारों इराकियों का सहारा बन चुका है. जिन लोगों ने हिंसा में अपनों को खोया वो भी योग के जरिए अवसाद से निकल रहे हैं. लेकिन मुस्लिम मुल्क में योग का प्रचार प्रसार आसान नहीं था. हिंसा और कट्टरता के बीच भारतीयों ने योग को कैसे इराक में मशहूर किया. योग दिवस पर इराक की राजधानी बगदाद से सुपर EXCLUSIVE रिपोर्ट. 


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इराक में कैसे फैला योग?


दर्द तकलीफ और अत्याचार के ऐसे ऐसे किस्से इराक की धरती से जुड़े हुए हैं जिन्हें सुनकर ही किसी की भी रूह कांप जाए. लेकिन इस कट्टर मुस्लिम देश के ज़ख्मों पर मरहम लगा रहा है योग. योग बहुत तेजी से लंबे वक्त तक अवसाद में  रहे बहुत से इराकी लोगों के दिल और दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बन रहा है. 
योग ने बहुत से इराकी लोगों के जीवन को बदल दिया है. योग का अभ्यास करने के बाद अब इराकी खुद को एक नया इंसान महसूस करते हैं. 


इंटरनेशनल योगा डे के मौके पर हजारों इराकी एक साथ योग और प्राणायाम का अभ्यास कर रहे हैं. पुरुष, महिलाएं, बच्चे यहां मौजूद हर इराकी को अब पता है. योग निरोग करता है. लेकिन बगदाद में योग क्रांति कैसे हुई?  इराक में योग के पॉपुलर होने की बड़ी दिलचस्प कहानी है. लेकिन पहले आप समझिए इराक में योग का प्रचार क्यों मुश्किल था. 


इराक़ में योग के प्रचार में मुश्किल! 


बगदाद के भारतीय दूतावास में योग और भारतीय संस्कृति विशेषज्ञ डॉक्टर डी पी जोशी कहते हैं, योग के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी थी. ज्यादातर लोग इसे हिंदू धर्म से जुड़ा मानते थे. कट्टर लोगों ने योग को धर्म का प्रचार समझा और इसके खिलाफ देश में माहौल बनाने की कोशिश की. लोगों को योग के फायदों के बारे में भी सही ढंग से जानकारी नहीं थी. हिंसा की वजह से लोगों से संपर्क स्थापित करने में भी मुश्किल हो रही थी. इसके बाद इराक में भारतीय दूतावास ने बीड़ा उठाया और इराक के लोगों को योग से परिचय करवाया. 


इराक में भारतीय राजदूत प्रशांत पिसे बताते हैं कि विदेश मंत्रालय के तहत आने वाले संगठन इंडियन काउंसिल और कल्चरल रिलेशन ने इस काम में अहम भूमिका निभाई. उसने भारत से योग के ट्रेंड टीचर्स बगदाद में भेजे, जिन्होंने पिछले 2 साल में योग के प्रचार- प्रसार में अहम भूमिका निभाई है. इसके चलते अब यहां पर लोग योग के फायदों को भली-भांति समझने लगे हैं. 


भारतीय दूतावास ने संभाला प्रचार का जिम्मा


बगदाद की इंडियन एंबेसी में अब रोजाना बड़ी संख्या में लोग योग अभ्यास करने पहुंचते हैं. इराकी लोगों ने योग तो आत्मसात कर लिया है. लेकिन एक वक्त ऐसा भी था कई बार जान जोखिम में डालकर लोगों को योग के बारे में जागरूक किया गया. डॉक्टर डी पी जोशी बताते हैं, हमारे राजदूत महोदय के निर्देशन में हम लोगों ने हमारा काम प्रारंभ किया और बहुत ही छोटे स्तर से हम लोगों ने कुछ वर्कशॉप स्टार्ट की. इसके तहत हमने छोटे- छोटे स्तर पर कुछ लोगों को योग की जानकारी देनी शुरू की. मैंने दो या 3 महीने तक रेगुलर बाहर जाकर के अलग-अलग जगह पर जाकर के लोगों से कांटेक्ट किया और उनको योग के फायदों के बारे में बताया. 


आखिरकार उनकी कोशिश रंग लाई. जिन इराकी लोगों का एक बार योग से जुड़ाव हुआ. वो इसके लाभ जानकर इसके साथ जुड़ गए और दूसरों को भी जोड़ा . योग से इनका रिश्ता अब उम्र भर का है. ऐसे ही एक इराकी अहमद फराह ने अपना अनुभव बताया, 'मैंने दो साल पहले और अगस्त 2022 में योग करना शुरू किया था, उस दिन से मेरा जीवन 180 डिग्री बदल गया क्योंकि मैं योग के कारण अपने आप में एक बेहतर इंसान बन गया. योग की वजह से मैं स्वयं का बेहतर संस्करण बन गया.'


इराकी खेल मंत्रालय ने भी की मदद
 
योग का अनुभव करके तो दुनिया योग की दीवानी हो रही है. लेकिन अनुभव करने का विश्वास दिलाने में इराक की सरकार से लेकर समाज के लिए कुछ बेहतर करने वाले भी शामिल हैं. इराक की स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री ने भी योग को फैलाने में मदद की. इसके लिए सोशल इनफ्लुएंसर का सहारा लिया गया और लोगों के रजिस्ट्रेशन करवाए गए. दूतावास में योग की नियमित क्लास शुरू हुई. साथ ही हजारों इराकी नागरिकों को योग में प्रशिक्षित किया गया. 


अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर इराक के कई शहरों में योग के कार्यक्रम हो रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस इराक में योग का अभ्यास कर रहे लोगों के लिए भी किसी त्योहार से कम नहीं है. हर जगह योग को सीखने के लिए इराकी लोगों में होड़ है. योग और आसनों के नाम इनकी जुबान पर हैं. इराक जैसे कट्टर मुस्लिम देश में योग का प्रचार बताता है कि दुनिया को योग का अभ्यास करके कितना लाभ मिल सकता है. वसुधैव कुटुंबकम् के आदर्शों पर चलने वाला भारत भी विश्व कल्याण के लिए योग के प्रचार प्रसार में जुटा है.