Global South: क्या है ग्लोबल साउथ जिसके लिए भारत ने लगाई रूस की `क्लास`?
What is Global South: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस दौरे पर अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव संग बैठक की. इसमें जयशंकर ने यूक्रेन जंग का मुद्दा उठाते हुए रूस से बातचीत की टेबल पर लौटने की अपील की. ग्लोबल साउथ की आवाज उठाते हुए वो भावुक भी हो गए.
Russia Ukraine Conflict and Global South Concern: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अभी रूस के दौरे पर हैं. वहां उन्होंने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ मुलाकात की. इस बैठक में जयशंकर ने यूक्रेन जंग का मुद्दा उठाते हुए रूस से बातचीत की टेबल पर लौटने की अपील की. उन्होंने कहा कि इस युद्ध की वजह से ग्लोबल साउथ 'भीषण दर्द से तड़प रहा' है. इस दौरान जयशंकर भावुक भी हो गए. बता दें कि भारत अब जी-20 समूह की अध्यक्षता करने जा रहा है. इस दौरान उसका फोकस ग्लोबल साउथ में शांति और समृद्धि पर रहने की उम्मीद है. भारत वैश्विक मंच पर लगातार ग्लोबल साउथ की आवाज बन रहा है. आइए जानते हैं उस ग्लोबल साउथ के बारे में विस्तार से जिसके दर्द ने विदेश मंत्री जयशंकर की आंखें भर दीं.
ऐसे समझें ग्लोबल साउथ का मतलब
ग्लोबल साउथ एक ऐसा टर्म है जिसका इस्तेमाल विकासशील और कम विकसित लैटिन अमेरिकी, एशियाई, अफ्रीकी और ओसिनिया क्षेत्र के देशों के लिए होता है. इनमें से ज्यादातर देश अपने औपनिवेशिक शासन से आजाद हुए हैं. ग्लोबल साऊथ अंतर क्षेत्रीय और बहुपक्षीय गठबंधन का पक्षधर है जो 1955 के बांडुंग सम्मेलन, गुट निरपेक्ष आंदोलन और संयुक्त राष्ट्र के जी-77 पर आधारित है. यह मंच राष्ट्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है. इसके अलावा यह नव उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक मंच प्रदान करता है. साउथ शब्द का इस्तेमाल संयुक्त राष्ट्र ने 1960 के दशक में पहली बार किया था. शीतयुद्ध के बाद इसमें 'ग्लोबल' शब्द और जुड़ गया. अतः यह साफ है कि ग्लोबल साउथ का मतलब विश्व के दक्षिण के देश नहीं हैं.
भारत इस तरह बन रहा है ग्लोबल साउथ की आवाज
ग्लोबल साउथ के नेता विश्व राजनीति में 1990 के दशक में एक्टिव होने लगे. क्योंकि भारत भी ग्लोबल साउथ का हिस्सा है, ऐसे में वह लगातार कमजरो देशों की आवाज उठाता आ रहा है. रूस यूक्रेन युद्ध का सबसे ज्यादा असर गरीब और अल्पविकसित देशों पर ही पड़ रहा है. इनमें सबसे ज्यादा देश ग्लोबल साउथ वाले ही हैं. यही वजह है कि भारत लगातार रूस से बातचीत की टेबल पर आने की अपील कर रहा है. इस युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ रही है, खाने पीने की चीजों की भी किल्लत हो रही है.
गेहूं और तेल सबसे बड़ी समस्या
ग्लोबल साउथ के सामने सबसे बड़ी समस्या गेहूं और तेल की बनी हुई है. रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं का मिलना मुश्किल हो रहा है. मिल भी रहा है तो काफी महंगा. यही स्थिति तेल को लेकर भी है. तेल के बढ़ते दाम ने कई विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था की हवा निकाल दी है. इसी दर्द को देखकर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री लावरोह से कहा कि भारत कामानना है कि कूटनीति और बातचीत का दौर फिर से शुरू हो. भारत शांति, अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का समर्थन करता है.
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