संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारत ने दुनिया को दी Religious Terrorism पर नसीहत, जानें क्या कहा?
विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में धार्मिक आतंकवाद पर बोलते हुए कहा कि यदि हम ऐसे आतंक की आलोचना करने या उसे अनदेखा करने के बारे में चुनिंदा होना चाहते हैं, तो हम अपने जोखिम पर ऐसा करते हैं. यह हम सभी के लिए खतरनाक है.
जिनेवा: भारत ने ‘धार्मिक आतंक’ के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र (UN) के मंच से पूरी दुनिया को नसीहत दी. भारत ने कहा कि वैश्विक समुदाय हिंदू, बौद्ध, सिख विरोधी सहित धार्मिक आतंक के विकराल रूपों को पहचानने में विफल रहा है. विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन (V. Muraleedharan) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में 'शांति बनाए रखने और शांति कायम रखने: विविधता, राज्य निर्माण और शांति की तलाश' पर उच्चस्तरीय खुली चर्चा में कहा कि इस तरह के आतंक की आलोचना के बारे में चयनात्मक होना हमारे लिए खतरा है.
‘आतंकवाद के अधिक विषैले स्वरूप उभर रहे हैं’
विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन (V. Muraleedharan) ने कहा, ‘धार्मिक पहचान के संबंध में, हम देख रहे हैं कि कैसे सदस्य देश धार्मिक आतंक के नए स्वरूप का सामना कर रहे हैं. हालांकि, हमने यहूदी-विरोधी, इस्लामोफोबिया और क्रिस्टियानोफोबिया की निंदा की है, लेकिन हम यह मानने में विफल हैं कि हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी सहित धार्मिक आतंकवाद के और अधिक विषैले स्वरूप उभर रहे हैं’.
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इशारों-इशारों में Pakistan पर भी साधा निशाना
मुरलीधरन ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि हमने अपने पड़ोस और अन्य जगहों पर मंदिरों के विनाश, मूर्तियों को तोड़ने का महिमामंडन, गुरुद्वारा परिसर का अनादर, सिख तीर्थयात्रियों का नरसंहार, बामयान में बुद्ध प्रतिमाओं और अन्य धार्मिक प्रतिष्ठित स्थलों का विनाश देखा है. इन अत्याचारों और आतंक को स्वीकार करने में हमारी अक्षमता केवल उन ताकतों को प्रोत्साहित करती है कि कुछ धर्मों के खिलाफ आतंक, दूसरों के मुकाबले अधिक स्वीकार्य है. उन्होंने आगे कहा कि यदि हम ऐसे आतंक की आलोचना करने या उन्हें अनदेखा करने के बारे में चुनिंदा होना चाहते हैं, तो हम अपने जोखिम पर ऐसा करते हैं.
अफगानिस्तान के हालात पर कही ये बात
विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि अफगानिस्तान के हालात पर बोलते हुए कहा कि काबुल में सत्ता परिवर्तन न तो बातचीत के जरिए हुआ और न ही समावेशी है. हमने लगातार व्यापक आधार वाली, समावेशी प्रक्रिया का आह्वान किया है, जिसमें अफगानों के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व शामिल हो. गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के अंतिम चरण के दौरान तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर नियंत्रण कर लिया था.