India on UNSC Reforms: भारत का दुनिया में बढ़ता कद चीन को रास नहीं आ रहा है. सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता की भारत की दावेदारी में वह जानबूझकर कई तरह के अड़ंगे लगा रहा है. अब भारत ने संकेतों में चीन पर तंज कसते हुए कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  की प्रतिबंध समितियों में प्रस्तावों पर लगाई गईं रोक एक प्रकार का 'छिपा हुआ वीटो' है. इसकी आड़ में पाकिस्तान के वैश्विक आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने जैसे मामलों पर परिषद के कुछ सदस्य देश कोई जिम्मेदारी नहीं लेंगे. 


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'सुरक्षा परिषद का रिकॉर्ड निराशाजनक रहा'


संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि और राजदूत रुचिरा कम्बोज ने मंगलवार को यह बात कही. रुचिरा कम्बोज ने एक बयान में कहा, ‘किसी भी संस्थान के काम करने के तरीकों को उसके सामने आने वाली चुनौतियों का जवाब देना चाहिए. बढ़ती हुई चुनौतियों 
का मुकाबला करने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का रिकॉर्ड काफी निराशाजनक रहा है.’


वे संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से 'वीटो पहल- संयुक्त राष्ट्र प्रणाली को मजबूत करना' नाम के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाने की दूसरी वर्षगांठ के मौके पर महासभा में बोल रही थीं. उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद ने वीटो को छिपाने के लिए अपने कामकाज के तरीके का उपयोग किया. उसने इस काम को अपनी समितियों की तदर्थ कार्य पद्धतियों के माध्यम से छिपाने की कोशिश की, जो उसकी तरफ से काम तो करती है किंतु उसकी जवाबदेही बहुत कम है. 


'वीटो करने के बाद वजह भी नहीं बताते'


भारतीय राजदूत ने कहा, ‘हममें से जो लोग मंजूरी समितियों की कार्य प्रणाली और 'रोक और अवरोध' लगाने की इसकी परंपरा से परिचित हैं. वे जानते हैं कि ये उन मामलों पर एक प्रकार की छिपी हुई वीटो शक्ति हैं, जिन पर कुछ परिषद सदस्य कोई जिम्मेदारी नहीं लेंगे और उन्हें अपने निर्णयों की वजह बताने की जरूरत भी नहीं होती है.’


कम्बोज की यह टिप्पणी एक तरह से चीन पर तंज के रूप में आई है. चीन ने सुरक्षा परिषद में पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के लिए भारत और अमेरिका जैसे उसके सहयोगी देशों के प्रस्तावों पर बार-बार रोक लगाई है. दो साल पहले, संयुक्त राष्ट्र महासभा में संकल्प 76/262 को अपनाया गया था, जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि अगर सुरक्षा परिषद के एक या अधिक स्थाई देश किसी मुद्दे पर वीटो करते हैं तो उसके 10 दिन के अंदर संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष सदन की बैठक बुलाकर चर्चा करेंगे. 


सुधार की भावना का स्वागत- भारत


कम्बोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्ताव में परिषद के कामकाज के तरीकों की अपारदर्शिता पर चर्चा और जवाबदेही तय करने की जरूरत पर जोर देने वाली भावना का स्वागत है. उन्होंने कहा, ‘इन प्रयासों के महत्व को पहचानते हुए, हम चाहेंगे कि इन प्रयासों को इस तरह से किया जाए जिससे उंगली उठाने के बजाय आम सहमति बनाने का माहौल बने.’