India Japan against China: भारत और चीन (India China) के बीच भले ही पूर्वी लद्दाख के पीपी-15 पॉइंट पर डिस-एंगेजमेंट हो गया हो लेकिन युद्ध का खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि चीन उपयुक्त अवसर की तलाश में है और वक्त आने पर दोनों देशों में युद्ध के प्रबल आसार हैं. चीनी (China) खतरे को कुचलने के लिए भारत अब संयम की नीति त्यागकर ड्रैगन को जवाब देने की सुनियोजित रणनीति पर चल रहा है. वह चीन से दुश्मनी रखने वाले देशों के साथ अपने संबंधों को लगातार मजबूत कर रहा है.


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रक्षा सहयोग मजबूत करेंगे भारत और जापान


चीन को जवाब देने के लिए भारत और जापान (India Japan) अब समुद्री सुरक्षा पर द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हो गए हैं. इसमें दोनों देशों की नौसेनाओं के संयुक्त अभ्यास का विस्तार और उच्च स्तरीय रक्षा वार्ता शामिल हैं. दोनों देशों ने हाल में टोक्यो में  2 प्लस 2 मंत्रिस्तरीय वार्ता  की थी. इसमें भाग लेने के लिए भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ जयशंकर 8 सितंबर को जापान गए थे. वहां पर उन्होंने जापानी रक्षा मंत्री हमदा यासुकाजू और विदेश मंत्री हयाशी योशिमासा से मुलाकात की. उन्होंने नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था के सामने आ रही चुनौतियों और उससे निपटने के उपायों पर चर्चा की. 


कई वैश्विक मंचों में दोनों की भागीदारी


चीन के दुश्मन कहे जाने वाले भारत और जापान (India Japan) कई प्रभावशाली वैश्विक मंचों के सदस्य हैं. भारत जहां अगले साल जी-20 की अध्यक्षता करेगा, वहीं जापान G-7 की कमान संभालेगा. दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग को लेकर G-4 समूह भी बना रखा है. इस समूह में बाकी दो देश ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका हैं. इसका अगली बैठक इस महीने के आखिर में होनी है. 


दोनों देशों के बीच गहरे हो रहे रक्षा संबंध


भारत और जापान (India Japan) के बढ़ते रक्षा संबंधों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के बाद वह दूसरा देश है, जिसके साथ भारत ने टू प्लस टू वार्ता शुरू की. जापानी सेना और भारतीय सेना ने वर्ष 2012 में अपना पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया था. उसके बाद दोनों देश इस प्रकार के कई अभ्यासों में भाग ले चुके हैं. जापान और भारत ने 2020 में एक अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौता किया. 



(एजेंसी आईएएनएस)


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