India Maldives relations: भारत हमेशा पड़ोसी देशों से मिला कर चलने का पक्षधर है. भारत कभी मदद के बदले अपना एजेंडा नहीं चलाता, जैसा कि चीन अक्सर करता है. ऐसे में कभी चीन के इश्क में बावली बनकर घूम रही मालदीव की मंत्री दिन-रात एंटी इंडिया एजेंडा चलाते थे. पीएम मोदी की एक अपील के बाद भारतीयों ने वहां घूमना फिरना कम किया. और दूसरी ओर चीन की चालबाजी उसे धीरे-धीरे समझ में आने लगी तो बीते कुछ दिनों से मालदीव के सुर बदले हैं. भारत के समुद्री पड़ोसी की ओर से तल्ख रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश की जा रही है. अब ऐसा लगता है कि देश के कर्ज को ध्यान में रखते हुए मालदीव ने पुराने मददगारों से पंगा लेना बंद कर दिया है. खुद मुइज्जू के मंत्री अब भारत से अच्छे रिश्तों की दुहाई दे रहे हैं.


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दूर हो गई गलतफहमियां: मूसा जमीर


मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर (Moosa Zameer) ने स्वीकार किया है कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व वाली सरकार के शुरुआती दिनों में भारत-मालदीव संबंध कठिन दौर से गुजरे, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों ने ‘गलतफहमियां’ दूर कर ली हैं. जमीर ने शुक्रवार को श्रीलंका की यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की. उन्होंने चीन और भारत सहित अन्य प्रमुख सहयोगियों के साथ अच्छे रिश्ते कायम करने के महत्व पर जोर दिया. जमीर ने कहा कि भारत के साथ संबंधों में चुनौतियों का सामना करना पड़ा, खास तौर पर मालदीव से भारतीय सैनिकों की एक छोटी टुकड़ी हटाने के राष्ट्रपति मुइज्जू के अभियान के बाद से.


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उन्होंने कहा कि मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी के बाद दोनों देशों के बीच ‘गलतफहमियां’ दूर हो गई हैं. ‘द एडिशन’ समाचार पत्र ने जमीर के हवाले से लिखा, ‘आप जानते ही हैं, हमारी सरकार के शुरुआती दिनों में (भारत के साथ) कुछ तल्खी थी. हमारे भारत और चीन से अच्छे रिश्ते हैं तथा दोनों देशों ने मालदीव का समर्थन करना जारी रखा है.’


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विवाद की प्रष्ठभूमि विस्तार से जानिए


मुइज्जू को चीन के प्रति झुकाव रखने के लिए जाना जाता है. उनके राष्ट्रपति पद पर काबिज होने के बाद भारत-मालदीव संबंध में खटास पैदा होने लगी. शपथ लेने के कुछ ही घंटों के भीतर मुइज्जू ने भारत से मालदीव को उपहार में दिए गए तीन सैन्य प्लेटफॉर्म पर तैनात भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने की मांग की थी. दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद भारतीय सैनिकों की जगह वहां तकनीकी कर्मियों की तैनाती की गई थी. मालदीव के तीन उप मंत्रियों द्वारा सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी किये जाने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव और बढ़ गया.


मालदीव के विदेश मंत्रालय ने खुद को इन टिप्पणियों से अलग कर लिया. बाद में, ये तीनों मंत्री भी निलंबित कर दिए गए. मुइज्जु ने पद संभालने के बाद अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत नयी दिल्ली की यात्रा नहीं की. वह सबसे पहले तुर्किये गए और फिर जनवरी में अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए चीन को चुना. वह नौ जून को नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए. मुइज्जू के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपति ‘बहुत जल्द’ भारत की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे. जमीर ने मालदीव के समक्ष मौजूद वर्तमान आर्थिक चुनौतियों को ‘अस्थाई’ करार दिया. उन्होंने कहा कि मालदीव का अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से राहत पैकेज की गुहार लगाने की कोई योजना नहीं है.


जमीर ने मालदीव सरकार के आईएमएफ से बाहरी सहायता मांगे बिना वित्तीय स्थिति से निपटने के प्रति आश्वस्त होने का संकेत देते हुए कहा, ‘हमारे द्विपक्षीय साझेदार हैं, जो हमारी जरूरतों और हमारी स्थिति के प्रति बहुत संवेदनशील हैं.’ उन्होंने चीन और भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती का भी उल्लेख किया और कहा कि ये देश मालदीव का समर्थन करने में महत्वपूर्ण रहे हैं. जमीर की यह टिप्पणी मालदीव की वित्तीय स्थिति के बारे में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की चेतावनियों के मद्देनजर आई है.


मालदीव पर इस समय 40.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर का कर्ज है. देश का मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार 44.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है. जमीर के साथ मालदीव के वित्त मंत्री मोहम्मद शफीक भी श्रीलंका यात्रा पर गए . इस दौरान दोनों नेताओं ने वित्तीय विषयों पर चर्चा के लिए श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के अधिकारियों और अन्य के साथ कई बैठकें कीं.


(एजेंसी इनपुट के साथ)