Indus Water Treaty: खालिस्तानियों को पाकिस्तान के खुले समर्थन के बीच वियना में भारत और PAK के बीच सीधी बातचीत, सामने आई वजह
India Pakistan News: भारत के एक प्रतिनिधिमंडल ने वियना में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में किशनगंगा (Kishenganga) और रतले (Ratle) मामले में परमानेंट कोर्ट आफ आर्बिट्रेशन (मध्यस्थता के लिए गठित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय) की बैठक में भाग लिया. यह बैठक 20 और 21 सितंबर को हुई.
India Pakistan Meet: भारत ने वियना में एक तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा बुलाई गई दो दिवसीय बैठक में भाग लिया. यह बैठक जम्मू कश्मीर के किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं पर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के समाधान के उद्देश्य से कार्यवाही का हिस्सा थी. भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) ने बृहस्पतिवार को बताया कि भारत के मुख्य अधिवक्ता के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे मौजूद रहे.
मुलाकात को लेकर सरकार का बयान
मंत्रालय ने कहा, ‘जल संसाधन विभाग के सचिव के नेतृत्व में भारत के एक प्रतिनिधिमंडल ने 20 और 21 सितंबर को वियना में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में किशनगंगा और रतले मामले में तटस्थ विशेषज्ञ की कार्यवाही की बैठक में हिस्सा लिया.' विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारत की भागीदारी सैद्धांतिक रुख के अनुरूप है और इसके अनुसार, विशेषज्ञ कार्यवाही ही एकमात्र उपाय है.
भारत नहीं है बाध्य
गौरतलब है कि इससे पहले विदेश मंत्रालय ने जुलाई में कहा था कि भारत मामले में इस तरह की अवैध और समानांतर प्रक्रिया को मान्यता देने या उसमें शामिल होने के लिए बाध्य नहीं है. भारत ने कहा था कि इस मामले में नई दिल्ली का सुसंगत और सैद्धांतिक रुख रहा है. सकारी विज्ञप्ति के मुताबिक, अवैध रूप से गठित तथाकथित मध्यस्थता अदालत ने फैसला सुनाया है कि उसके पास किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं से संबंधित मामलों पर विचार करने की क्षमता है.
'62 साल पुरानी संधि में बदलाव की जरूरत'
भारत ने इसी साल अप्रैल के महीने में सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान के रुख पर विचार करते हुए 62 साल पुरानी संधि में बदलाव की आवश्यकता जताई थी. यह संधि भारत पाकिस्तान और विश्व बैंक के बीच हुई थी. जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों लाभार्थी हैं. यह संधि दोनों देशों में बहने वाली नदियों के जल बंटवारे का समझौता है.
इसी साल 25 जनवरी को भारत ने विचारणीय बिंदुओं पर पाकिस्तान को एक नोटिस दिया था. इसमें संधि में बदलाव की जरूरतों का उल्लेख किया गया था. लेकिन कई सालों से पाकिस्तान संधि में किसी तरह का बदलाव न करने पर अड़ा हुआ था. वो भारत की किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं पर लगातार आपत्ति जता रहा है. लेकिन अप्रैल के प्रारंभ में पाकिस्तान ने अपने रुख में थोड़ी नरमी लाते हुए नोटिस पर भारत को जवाब भेजा था.
(एजेंसी इनपुट के साथ)