संयुक्त राष्ट्र : डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत तैनात भारतीय शांतिरक्षकों के पेशेवराना अंदाज और मानवीय दृष्टिकोण की सराहना की गई है. वहीं पहली भारतीय महिला शांतिरक्षक टीम की तैनाती मध्य अफ्रीकी राष्ट्र में महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई है. मार्च 2019 तक 2,624 शांतिरक्षकों, 274 पुलिस कर्मियों के साथ डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में यूनाइटेड नेशन्स ऑर्गेनाइजेशन स्टेबिलाइजेशन मिशन में भारत सर्वाधिक सैनिक तैनात करने वाला दूसरा देश था.


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मिशन के साथ तैनात उच्च स्तरीय भारतीय सैन्य अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को स्काइप पर दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ कांगो में भारतीय शांतिरक्षकों की छवि बहुत ही अच्छी है, मानवीय बल बेहद पेशेवर है. भारतीय शांतिरक्षक स्थायी शांति स्थापित करने के लिए कांगो के हमारे दोस्तों का समर्थन कर रहे हैं.’’ वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी पहचान उजागर नहीं की क्योंकि भारतीय रक्षा मंत्रालय इसकी अनुमति नहीं देता. अधिकारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में से एक के रूप में, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में भारत का योगदान किसी से कम नहीं है और डीआरसी कोई अपवाद नहीं है.


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भारत 1960 में अपने शांति सैनिकों को कांगो भेजने वाले पहले देशों में से एक था. तब कांगो में हिंसा शुरू हो गई थी और आज तक उसके 68 सैनिकों ने कांगो में कर्तव्य का निर्वाह करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है. पांच जून को भारत की 22 महिला शांति सैनिकों को मिशन में शामिल किया गया. यह तैनाती बारी बारी से प्रभार संभालने की व्यवस्था के तहत है. भारतीय शांतिसैनिकों ने अपनी महिला समकक्षों का भी स्वागत किया.


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अधिकारी ने कहा ‘‘संयुक्त राष्ट्र में हर तरह की गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी है चाहे वह सेना में हो, पुलिस में हो या असैन्य क्षेत्र हो. उन्होंने प्रतिकूल हालात से गुजर रहे समाज में अहम भूमिका निभाई है. यहां की स्थानीय महिलाओं के लिए, विश्व निकाय के किसी भी क्षेत्र में काम कर रही महिलाएं रोल मॉडल हैं.’’ उन्होंने यह भी कहा कि महिला शांतिरक्षक उन देशों की आधी आबादी के लिए प्रेरणा हैं जिन देशों की शांति एवं सुरक्षा में योगदान के लिए उन्हें तैनात किया गया है.


(इनपुट भाषा)