ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में चौंकाने वाले रुझान देखने को मिले रहे थे. जहां माना जा रहा था कि कट्टरपंथी उम्मीदवार सईद जलीली आसानी से चुनाव जीत जाएंगे लेकिन अब तक हुई वोटों कि गिनती में ऐसा नहीं दिख रहा है. उनके और सुधारवादी मसूद पेजेशकियन के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है.


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बीबीसी के मुताबिक 8 मिलियन से अधिक वोटों की गिनती हो चुकी है और दोनों उम्मीदवार के वोट 40 फीसदी के आसपास हैं. पिछले कुछ घंटों में दोनों ने एक दूसरे को पीछे छोड़ दिया है.


अगर जलीली या पेजेशकियन में से कोई भी 50% वोट नहीं जीत पाता है, तो चुनाव दूसरे दौर में जाएगा - जो अगले शुक्रवार को होगा.


अगर कोई भी उम्मीदवार रिक्त मतों सहित डाले गए सभी वोटों में से कम से कम 50 प्रतिशत से अधिक एक वोट (50 percent+1) नहीं जीतता है, तो चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद पहले शुक्रवार को शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच एक रन-ऑफ राउंड आयोजित किया जाता है.


बीबीसी के मुताबिक सरकारी मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा मतदान बक्से ले जा रहे एक वाहन पर हमला किया गया जिसमें सुरक्षा बल के दो सदस्यों की मौत हो गई.


पेजेशकियन ने की है अलग 'नजरिए' की बात
पूर्व हार्ट सर्जन और स्वास्थ्य मंत्री पेजेशकियन ने एक अलग 'नजरिया' अपनाने का का वादा किया है. उन्होंने कहा कि नैतिकता पुलिस की कार्रवाई, जो महिलाओं पर सख्त ड्रेस कोड लागू करती है, 'अनैतिक' है.


रईसी की जगह लेने के लिए चुनाव
यह चुनाव पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की जगह लेने के लिए है, जिनकी 19 मई को उस समय मृत्यु हो गई थी, जब उनका हेलीकॉप्टर पहाड़ से टकरा गया था, जिसमें सात अन्य लोग भी मारे गए थे.


बेहद कम मतदान
हालांकि ईरान में 61.5 मिलियन योग्य मतदाता हैं, लेकिन इस चुनाव में मतदान कम होने की उम्मीद जताई गई थी. मार्च में संसदीय चुनावों और 2021 में पिछले राष्ट्रपति चुनाव में यह रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था.


शुरुआती अनौपचारिक अनुमानों के अनुसार मतदान करने के लिए पात्र सभी लोगों में से लगभग 40 प्रतिशत ने मतदान किया . अगर यह कनफर्म होता है तो यह 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ईरान में राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे कम मतदान होगा.


ईरान 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद 2022 में विरोध प्रदर्शनों की एक बड़ी लहर से हिल गया था. अमिनी को ईरान के सख्त ड्रेस कोड का कथित रूप से उल्लंघन करने के आरोप में नैतिकता पुलिस ने हिरासत में लिया गया था. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इस कार्रवाई में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों को हिरासत में लिया गया.


Photo courtesy: Reuters