King Charles III Coronation:  ब्रिटेन की महारानी कैमिला ने छह मई को अपने पति महाराजा चार्ल्स तृतीय के साथ होने वाली अपनी ताजपोशी के लिए जिस ताज का चयन किया है, उसमें औपनिवेशिक काल का विवादित वह कोहिनूर हीरा नहीं जड़ा होगा.  बता दें भारत इस हीरे पर दावा जताता रहा है.


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ब्रिटिश शाही परिवार की ख्याति और शक्ति का प्रतीक 'कोहिनूर' हीरे को महारानी कैमिला द्वारा ताजपोशी में न पहनने का फैसला काफी चौंकाने वाला है. इससे पहले शाही परिवार के राज्याभिषेक समारोह में परंपरागत रूप से यह हीरा दिखाई देता रहा है. मई 1937 में किंग जॉर्ज षष्ठम के राज्याभिषेक समारोह में इसे महारानी एलिजाबेथ ने भी पहना था.


क्या लग रही हैं अटकलें?
कई ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया कि ये फैसला ‘परंपराओं’ और ‘आज के मुद्दों के प्रति संवेदनशील’ रहने के बीच एक समझौता है. ऐसे में यह कयास भी लगाए जाते रहे हैं क्या कोहिनूर पर ब्रिटिश अपने दावे पर फिर से विचार कर सकता है.


हालांकि इसकी संभावना बहुत कम लगती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश राजघराने से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि ऐसा लगता है कि महल की संवेदनशीलता बस कोहिनूर तक ही सीमित है. ऐसा नहीं है कि क्वीन कॉन्सोर्ट के मुकुट में हीरा नहीं होगा. हां कोहिनूर हीरे की जगह क्वीन के मुकुट में कुलिनन हीरे जड़े होंगे. इन हीरों को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था. ये हीरे भी ब्रिटिश उपनिवेश का ही प्रतीक है.


ब्रिटेन पहले भी दे चुका है इस पर बयान
पहले भी ब्रिटेन के नेता सांस्कृतिक कलाकृतियों को लौटाने के प्रति अनिच्छा पर जोर देते रहे हैं.ब्रिटेन के पास ऐसी कलाकृतियां हैं जो औपनिवेशिक देशों से चुराई गईं हैं. 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने औपनिवेशिक हीरों को 'लौटाने की प्रवृत्ति' के खिलाफ बयान दिया था.


माडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोहिनूर हीरा 105.6 कैरट का है, जो दुनिया के सबसे बड़े कटे हुए हीरों में से एक है और यह 1850 में महारानी विक्टोरिया को पेश किए जाने के बाद से शाही परिवार के गहनों के संग्रह का एक प्रमुख हिस्सा रहा है। कोहिनूर के इतिहास को लेकर अंसख्य किस्से कहानियां प्रसिद्ध हैं.