Israel News: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तो जैसे अपने दुश्मनों का सफाया करने की ठान ली है. अमेरिका रोक रहा लेकिन वह किसी के भी प्रेशर में आने वाले नहीं है. पहले गाजा में बमबारी कर इलाका समतल किया, इसके बाद लेबनान में हिजबुल्ला के गढ़ को धुआं-धुआं कर दिया. 60 फीट नीचे बंकर में छिपा सरगना नसरुल्लाह भी नहीं बचा. अब उनके आदेश पर यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ इजरायली बमबारी हो रही है. इस तरह से देखें तो बेंजामिन नेतन्याहू एक साथ कई मोर्चों पर चल रहे संघर्ष का नेतृत्व रहे हैं. अब उन्होंने घरेलू मोर्चे पर भी अपनी पोजीशन मजबूत कर ली है. जी हां, इस लड़ाई के बीच उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया है.


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विरोधी को साध लिया


इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कुछ घंटे पहले अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी गिदोन सार (57) को अपनी कैबिनेट में शामिल कर लिया. इस कदम से नेतन्याहू के सत्तारूढ़ गठबंधन का विस्तार होगा और इजरायली नेता को पद पर बने रहने में मदद मिलेगी. एक लाइन में समझें तो घर में राजनीतिक स्तर पर नेतन्याहू मजबूत हो गए हैं और अब वह देशहित में जो चाहेंगे वो फैसला लेंगे.


नेतन्याहू ने कहा है कि समझौते के तहत सार को सिक्योरिटी कैबिनेट में स्थान दिया जाएगा. सिक्योरटी कैबिनेट इजरायल का अपने दुश्मनों के साथ चल रहे संघर्ष में पूरा मैनेजमेंट संभालती है.
 
वैसे, सार को उम्मीद थी कि वह नेतन्याहू के दूसरे प्रतिद्वंद्वी रक्षा मंत्री योआव गैलेंट की जगह लेंगे लेकिन हिजबुल्ला के साथ लड़ाई तेज होने के चलते उनका रक्षा मंत्री बनने का सपना टूट गया.  


छत्तीस का आंकड़ा और...


सरकार में शामिल हुए सार के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ तल्ख रिश्ते रहे हैं. एक समय वह नेतन्याहू की लिकुड पार्टी में तेजी से उभर रहे थे लेकिन नाराज होकर 4 साल पहले पार्टी छोड़ दी. उन्होंने आरोप लगाया था कि नेतन्याहू खुद को ही सत्ता में बनाए रखना चाहते हैं, तब उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. तबसे सार के रास्ते अलग थे और उनकी छोटी कंजर्वेटिव पार्टी को सपोर्ट भी कम मिल रहा था. वैसे इतना सब होने के बाद भी ये दोनों नेता इजरायल की अरब पॉलिसी को लेकर एक दूसरे का सपोर्ट करते रहे हैं.