वॉशिंगटन: अमेरिकी रक्षामंत्री जिम मैटिस ने कहा है कि अफगानिस्तान में अपने सैनिक न भेजने का भारत का फैसला पाकिस्तान की चिंताओं की वजह से है क्योंकि इससे क्षेत्र में नयी जटिलताएं पैदा होंगी. मैटिस ने सदन की सशस्त्र सेवा समिति में सांसदों के समक्ष अफगानिस्तान की मदद में भारत के योगदान की सराहना की और कहा कि नयी दिल्ली ने अफगानिस्तान की मदद करने की दिशा में समग्र रवैया अपनाया है. उन्होंने दक्षिण एशिया पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सांसद डग लैम्बोर्न के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘यह वास्तव में एक बहुत ही समावेशी रवैया है जो भारत अपना रहा है. आप देखेंगे कि मैंने भारतीय सैनिकों का विकल्प पाकिस्तान के लिए उत्पन्न होने वाली जटिलता की वजह से छोड़ दिया.’ 


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मैटिस ने कहा, ‘हम इसे एक समावेशी रणनीति बनाने की कोशिश कर रहे हैं और हम नहीं चाहते कि वे (पाकिस्तान) अपने पश्चिमी मोर्चे पर तैनात भारतीय सैन्य कर्मियों को लेकर किसी भी तरह से खुद को असहज महसूस करें.’ अमेरिकी रक्षा मंत्री पिछले महीने भारत में थे और अपनी भारतीय समकक्ष निर्मला सीतारमण से बातचीत की थी. इस दौरान निर्मला ने अफगानिस्तान में भारतीय सैनिकों की तैनाती की किसी भी तरह की संभावना को खारिज करते हुए कहा था कि भारत वहां विकास संबंधी मदद मुहैया कराता रहेगा.


पाकिस्तान अफगानिस्तान में भारत की बड़ी भूमिका का यह कहते हुए विरोध करता रहा है कि काबुल-नई दिल्ली धुरी पाकिस्तान के रणनीतिक हितों के लिए नुकसानदेह होगी. अमेरिकी रक्षामंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच मुक्त सीमा व्यापार से क्षेत्रीय स्थिरता लाने में मदद मिलेगी. मैटिस ने सदन में कहा, ‘यदि भारत और पाकिस्तान के बीच दोनों देशों के व्यापक आर्थिक लाभ के वास्ते व्यापार के लिए सीमा खोलने का कोई रास्ता निकलता है तो यह समूचे क्षेत्र के लिए बड़ा मददगार होगा.’ उन्होंने कहा कि स्थिरता से आर्थिक समृद्धि आती है. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि आखिरकार वे इसे होते हुए देखेंगे.


अमेरिकी रक्षा मंत्री ने सीमा पार से होने वाली घुसपैठ के अप्रत्यक्ष संदर्भ में कहा, ‘मेरा मानना है कि भारत ऐसा चाहता है, लेकिन यह ऐसी स्थिति में करना बेहद मुश्किल है जब आप सीमा किसी और चीज के लिए खोलते है तथा आपको मिलता कुछ और है.’ अफगानिस्तान में भारत की भूमिका पर सिलसिलेवार सवालों का जवाब देते हुए मैटिस ने कहा, ‘नयी दिल्ली का अफगानिस्तान के साथ वर्षों से लगाव रहा है. वर्षों से अफगानिस्तान को वित्तीय मदद की वजह से भारत को बदले में अफगान लोगों का लगाव मिला है. वे इस प्रयास को लगातार जारी रखना चाहते हैं और इसे विस्तारित करना चाहते हैं. इसके अलावा, वे अफगानिस्तान के सैन्य अधिकारियों और गैर कमीशनप्राप्त अधिकारियों को अपने स्कूलों में प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहे हैं.’ 


मैटिस ने कहा कि इसके अलावा भारत अफगान सेना के डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है जिससे अफगान सेना हताहतों की संख्या को कम करने और बेहतर उपचार में सक्षम हो सके. उन्होंने कहा कि ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां भारत और अमेरिका एक-दूसरे के लिए स्वाभाविक साझेदार हैं. दोनों देश अपनी सेनाओं के बीच संबंधों को गहरा और विस्तारित कर रहे हैं. मैटिस ने पाकिस्तान की चिंता को दूर करते हुए कहा, ‘लेकिन यह किसी को बाहर करने की रणनीति नहीं है. कोई भी देश जो दक्षिण एशिया में आतंकवाद रोधी प्रयास और इस स्थिरता प्रयास से जुड़ना चाहता है, वह इसमें जुड़ सकता है.’