Japan Space Programme: जापान चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का पांचवां देश बन गया है. चंद्रमा की जांच के लिए स्मार्ट लैंडर या एसएलआईएम, स्थानीय समय के अनुसार रात लगभग 12 बजकर 20 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरा. जापान की अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद वह अपने बिना चालक दल वाले यान 'मून स्नाइपर' के साथ संचार कर रही है. लेकिन जापान को यह सफलता एक बड़ी चेतावनी के साथ मिली है. ऐसा संभावना है कि अंतरिक्ष यान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खराब हो गया है, जिससे मिशन की सफलता ख़तरे में पड़ गई है.


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सौलर जनरेटर नहीं कर रहे काम
दरअसरल अंतरिक्ष यान के सौलर जनरेटर काम नहीं कर रहे हैं, और यह पूरी तरह से बैटरी से ऑपरेट हो रहा है. यदि इसे ठीक नहीं किया जा सका, तो बैटरी खत्म होने पर स्लिम मिशन खत्म हो जाएगा. जापान की अंतरिक्ष एजेंसी अब बैटरी खत्म होने से पहले सौर जनरेटरों को ठीक करने में लगी है.


वैज्ञानिकों को है यह उम्मीद
सीएनएन के मुताबिक टीम ने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि जैसे ही चंद्रमा पर सौलर एंगल बदलेगा, सौर सेल फिर से चार्ज करने में सक्षम हो सकता है. हालांकि इसमें कुछ समय लग सकता है और यह इस पर निर्भर करेगा कि एसएलआईएम ठंडी चंद्र रात में जीवित रह सकता है या नहीं.


स्टीट्यूट ऑफ स्पेस एंड एस्ट्रोनॉटिकल साइंस के प्रमुख हितोशी कुनिनका ने कहा कि उनका मानना है कि उन्होंने कम से कम ‘मिनिमम’ सफलता हासिल कर ली है.


बता दें जापान से पहले अमेरिका, रूस, चीन और भारत ने यह उपलब्धि हासिल की है. पिछले साल भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक एक अंतरिक्ष यान उतारकर इतिहास रचा था.