Mikhail Mishustin Russian New PM: व्लादिमिर पुतिन के राष्ट्रपति पद की पांचवीं बार शपथ लेते ही 7 मई को साफ हो गया था अब रूस में नई सरकार और प्रशासनिक अधिकारी कामकाज संभालेंगे. इस बीच सर्वशक्तिमान पुतिन ने मिखाइल मिशुतिन को देश के प्रधान मंत्री के रूप में फिर से नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया है. शुक्रवार को ड्यूमा (संसद के निचले सदन) के स्पीकर व्याचेस्लाव वोलोडिन ने टेलीग्राम पर एक पोस्ट में लिखा - 'पुतिन ने MM को फिर से प्रधानमंत्री बनाने का फैसला लिया है. सभी सांसद इस मुद्दे पर अपने मतदाताओं की ओर से एक जिम्मेदार निर्णय लेंगे.'


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कौन हैं मिखाइल मिशुतिन?


58 साल के मिशुतिन को जनवरी 2020 में प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था और तभी से वह इस शीर्ष पद पर तैनात हैं. मिशुतिन का जन्म 3 मार्च, 1966 को हुआ था. उन्हें अक्सर टेलीविजन पर सरकारी कार्यों और समय सीमा पर पुतिन से तीखे सवाल करते देखा जाता है.


उन्हें जनवरी 2020 में पुतिन ने दिमित्री मेदवेदेव की जगह पीएम नियुक्त किया था. प्रधानमंत्री बनने से पहले, वो रूस की इकॉनमी संभालते थे. मिखाइल फेडरल टैक्स विभाग के हेड रह चुके हैं. उनके नाम एक दशक में देश के रिवेन्यू को दोगुना से अधिक करने का रिकॉर्ड है.


संकट मोचक की छवि


प्रधानमंत्री के रूप में उनका पिछला कार्यकाल कोविड महामारी और यूक्रेन युद्ध की वजह से बेहद चुनौतियों से भरा था. रॉयटर्स ने बताया कि 58 वर्षीय को सशस्त्र बलों की बेहतर आपूर्ति और चिकित्सा और रसद समर्थन में सुधार के लिए क्षेत्रीय नेताओं और उद्योग के साथ काम करने के लिए अक्टूबर 2022 में एक नई समन्वय परिषद का प्रमुख नामित किया गया था.


देश को चुनौतियों से निकाला, इसलिए पुतिन ने दोबारा जताया भरोसा


सुरक्षा सेवाओं यानी डिफेंस सेक्टर में कोई पृष्ठभूमि नहीं होने के कारण, वो रूस के खुफिया दिग्गजों के तथाकथित सिलोविकी (मजबूत) गुट का हिस्सा नहीं हैं जो पुतिन के करीबी हैं. पुतिन की आलोचना करने से नहीं चूकते हैं. पिछले महीने संसद में उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार को बहुत जटिल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, लेकिन रूस की अर्थव्यवस्था को पश्चिमी प्रतिबंधों के अनुकूल बनाने और राष्ट्रपति पुतिन द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में सफल रहे.


यूं तो पुतिन पर अपने विरोधियों की आवाज दबाने का आरोप लगता रहता है, लेकिन पुतिन ने मिखाइल को दोबारा मौका क्यों दिया? इसकी वजह ये हो सकती है कि यूक्रेन युद्ध की वजह से देश के भीतर उठ रही हर आवाज को उन्होंने बड़ी सौम्यता से हैंडल किया. उन्होंने लोगों को समझाया. ऐसी नीतियां बनाईं कि लंबे युद्ध के बावजूद रूस में एक बार भी अराजकता या अफरातफरी की स्थिति नहीं दिखी.


पहली बार अलग ढंग से चुनी जा रही सरकार


रूस की नई कैबिनेट का गठन पहली बार अलग ढंग से हो रहा है. साल 2020 तक रूस के संविधान में प्रावधान था कि प्रधानमंत्री जिसे चाहे अपनी कैबिनेट में मंत्री बना सकता है. 2020 में संविधान संशोधन कर ये फैसला लेने का अधिकार संसद को दिया गया. अब संसद की एक समिति द्वारा मंत्रियों का नाम सुझाया जाता है, जिस पर मुहर लगाने का काम संसद करती है. प्रधानमंत्री का चुनाव भी इसी तरीके से होता है. यानी संसद अगर बार-बार पीएम पद के उम्मीदवार को अस्वीकार करती है तो इस शपथग्रहण की विधि में कई दिन का वक्त लग सकता है.