रोम: इटली के एक जोड़े (Couple) ने 2 दशक की लंबी कानूनी लड़ाई जीती है. इसमें उस कपल ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की एक अंतर्राष्ट्रीय संधि (International Treaty) को कोर्ट के सामने दिखाया. जिसमें टॉयलेट फ्लश से निकलने वाली आवाज को लिमिटेड करने की बात कही गई है.


2 दशकों पुराना 'फ्लश विवाद'


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रोम के दैनिक समाचार पत्र 'ला रिपब्लिका' के अनुसार, यह विवाद पड़ोसियों के बीच 2 दशक पहले शुरू हुआ था, जोकि पिछले हफ्ते इटली के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने के बाद खत्म हुआ है. दरअसल साल 2003 में यह सब शुरू हुआ, जब उत्तर पश्चिमी इटली के ला स्पेजिया जिले में चार भाइयों ने अपने अपार्टमेंट में एक नया टॉयलेट बनवाया.


फ्लश की आवाज से खराब होती थी पड़ोसियों की नींद


उनके पड़ोसियों ने इस टॉयलेट की तुरंत शिकायत की. पड़ोसियों का कहना था कि रात में ये लोग टॉयलेट नियमित रूप से इस्तेमाल करते हैं और फ्लश चलाते समय जोर से आवाज होती थी और इस आवाज से पड़ोसियों की नींद खराब होती थी. दंपति ने शोर की समस्या को हल करने और हर्जाने का भुगतान करने की मांग करते हुए अपने मामले को कोर्ट ले गए, लेकिन ट्रायल जज ने उनके केस को खारिज कर दिया.


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कोर्ट ने जांच में पाया दोषी


वहां से केस खारिज होने के बाद कपल अपने मामले को जेनोआ की अदालत (Genoa Court) में ले गए. वहां की कोर्ट ने जब फ्लैटों की जांच कराई तो पाया कि फ्लश की आवाज बहुत ज्यादा थी. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2003 में जब टॉयलेट बनाए गए थे, तब चार भाइयों ने फ्लैट में WC फ्लश लोकेशन से छेड़छाड़ की.


सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई


इसके बाद वे 4 भाई 'फ्लश केस' को इटली के सुप्रीम कोर्ट ले गए. लेकिन, अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने भी दंपति के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने उनके जीवन की गुणवत्ता पर फ्लश के नकारात्मक प्रभाव का हवाला देते हुए कहा कि वास्‍तव में ये कपल के प्राइवेट और फैमिली लाइफ का हनन है और मानव अधिकारों का उल्‍लंघन है. लिहाजा तेज आवाज करने वाले 4 भाइयों के टॉयलेट को सील कर दिया गया.


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