नई दिल्ली: भारत और नेपाल के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. नेपाली सरकार ने बुधवार को देश का एक नया विवादित नक्शा जारी किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी, लिंपियाधुरा के भारतीय क्षेत्रों को अपना बताया गया है. भू प्रबंधन, सहकारिता और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा यह नक्शा जारी किया गया है. भारत के विरोध के बावजूद नेपाल का यह कदम दोनों देशों के बीच बिगड़ते रिश्तों को दर्शाता है. 


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इस महीने की शुरुआत में नेपाली राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी (Bidhya Devi Bhandari ) ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि देश के नए नक्शे प्रकाशित किए जाएंगे और उसमें उन सभी क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा जिसे नेपाल अपना मानता है. उन्होंने कहा था कि लिपुलेख, कालापानी, लिंपियाधुरा नेपाल का हिस्सा हैं, और इन क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करने की दिशा में ठोस राजनयिक प्रयास किए जाएंगे. नेपाल के सभी क्षेत्रों को शामिल करते हुए नया आधिकारिक नक्शा प्रकाशित किया जाएगा.नेपाली सरकार के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा था कि सरकार नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और भारत के साथ सीमा विवादों को उपलब्ध ऐतिहासिक संधियों, मानचित्रों, तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर राजनयिक तरीके से हल किया जाएगा.



गौरतलब है कि भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा धारचूला से लिपुलेख के लिए एक नई सड़क का उद्घाटन करने के बाद काठमांडू ने इस मुद्दे को उठाया था. इस नए मार्ग के चलते कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा में लगने वाले समय को कम किया जा सकता है. हालांकि, नेपाल ने संबंधित इलाकों पर अपना अधिकार जताकर विरोध शुरू कर दिया है. इस संबंध में नेपाल में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा (Vinay Mohan Kwatra) को नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने बुलाकर अपना विरोध दर्ज कराया था.


लिपुलेख पर भारत ने यह स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की जिस सड़क पर नेपाल ने आपत्ति जताई है, वह हिस्सा भारतीय क्षेत्र में है. नई दिल्ली को लगता है कि काठमांडू का वर्तमान रवैया नेपाल में बढ़ती चीनी दखल का परिणाम है. वहीं, भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Manoj Mukund Naravane) ने शुक्रवार को नेपाल के साथ लिपुलेख मुद्दे पर चर्चा में शामिल होने का संकेत दिया है. 


थिंक टैंक IDSA की ऑनलाइन मीट में नेपाल से विवाद पर बोलते हुए आर्मी चीफ ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि नेपाल किस मुद्दे को लेकर विरोध जता रहा है, अतीत में कभी ऐसी कोई समस्या नहीं हुई. संभव है कि वह किसी दूसरे के इशारे पर ऐसा कर रहा हो’. भले ही सेना प्रमुख ने ‘दूसरे’ का कोई नाम नहीं लिया, लेकिन यह सर्वविदित है कि चीन नेपाल में अपनी दखल लगातार बढ़ा रहा है. वैसे, मौजूदा विवाद नया नहीं है. 1816 में सुगौली संधि (Treaty of Sugauli) के तहत नेपाल के राजा ने कालापानी और लिपुलेख सहित अपने कुछ हिस्सों को ब्रिटिशों को सौंप दिया था.


भारत की तीखी प्रतिक्रिया
भारत ने इस संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि नेपाल का इस तरह से नक्शे में बदलाव स्वीकार्य नहीं है. नेपाल, भारत की संप्रभुता का सम्मान करे. दोनों देशों ने जो मैकेनिज्म बना रखा है इस तरह की समस्याओं को हल करने का उसके तहत ही मामले को सुलझाएं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने नेपाल के नक्शे में बदलाव को लेकर कहा है कि नेपाल की सरकार ने अधिकारिक तौर पर नेपाल का जो संशोधित मैप जारी किया है उसमें भारतीय हिस्से को शामिल किया गया है. यह एकतरफा कदम है और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है. भारत और नेपाल के बीच इस तरह के सीमा संबंधी मुद्दे द्विपक्षीय समझ और डिप्लोमेटिक डायलॉग के जरिए हल किए जाने चाहिए.  


भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साफ कहा है कि इस तरह का बदलाव भारत को स्‍वीकार्य नहीं है. नेपाल इस मामले पर भारत की पोजीशन को अच्छी अच्छे तरीके से जानता है. हम नेपाल सरकार से अपील करते हैं कि वह भारत की एकता और अखंडता का सम्मान करे. हमें उम्मीद है कि नेपाल की लीडरशिप दोनों देशों के बीच सकारात्मक माहौल बनाएगी और बातचीत से मसला हल होगा.


(ब्रम्‍ह प्रकाश दुबे के इनपुट के साथ)