Netanyahu office blocked: ऐसा लग रहा है कि कई मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा इजरायल अब युद्ध विराम की तरफ भी बढ़ रहा है. हालांकि इन सबके बीच येरुशलम में एक अलग वाकया देखने को मिला. हुआ यह कि गाजा पट्टी में बंधक बनाए गए लोगों के रिश्तेदारों ने बुधवार को नेतन्याहू के संसद कार्यालय का एंट्रेंस ब्लॉक कर दिया और उनके ऑफिस को घेर लिया. उनका कहना था कि प्रधानमंत्री उनसे मिलें और उनके प्रियजनों को मुक्त कराने के लिए प्रभावी कदम उठाएं. यह विरोध प्रदर्शन उस वक्त हुआ जब नेतन्याहू ने लेबनान में हिजबुल्लाह के साथ युद्ध विराम को मंजूरी दी थी. 


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असल में इस युद्ध विराम की शुरुआत बुधवार सुबह 4 बजे से हुई. प्रदर्शनकारियों में शामिल एली अलबाग ने कहा कि गाजा में भी नेतन्याहू को इसी तरह का समझौता करना चाहिए. ये वही अलबाग हैं जिनकी बेटी लिरी को हमास ने 7 अक्टूबर को बंधक बना लिया था.


बंधकों की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव
प्रदर्शनकारियों को संसद सुरक्षा ने बाद में हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जहां उन्होंने अपनी मांगें जारी रखीं. अमेरिकी-इजरायली बंधकों के परिवारों ने एक बयान में राष्ट्रपति जो बाइडेन और नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अपील की कि वे बंधकों की रिहाई के लिए मिलकर काम करें. गाजा में लड़ाई रोकने के लिए अमेरिका, मिस्र और कतर ने कई प्रयास किए, लेकिन हमास और नेतन्याहू की शर्तें आड़े आ रही हैं.


हमास का सहयोगी रुख
हमास ने इजरायल-हिजबुल्लाह समझौते का स्वागत किया और गाजा में किसी भी संघर्ष विराम प्रयास में सहयोग की इच्छा जताई. उन्होंने कहा कि उनकी शर्तों में इजरायली सेना की वापसी, विस्थापितों की घर वापसी और कैदियों की अदला-बदली शामिल हैं.


हमास की अपील और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
हमास ने अरब और इस्लामी देशों से इजरायल और अमेरिका पर दबाव डालने की अपील की. उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लेबनान के युद्ध विराम का समर्थन करते हुए गाजा में भी शांति की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि लेबनान और गाजा दोनों को लड़ाई और विस्थापन से मुक्ति मिलनी चाहिए.


7 अक्टूबर का हमास हमला और गाजा में तबाही


हमास के 7 अक्टूबर के हमले में 1,200 इजरायली नागरिक मारे गए थे और 250 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया गया था. इसके जवाब में इजरायल ने गाजा में सैन्य अभियान छेड़ दिया, जिससे हजारों फिलिस्तीनियों की मौत हुई और बड़े पैमाने पर तबाही मची.


नेतन्याहू पर बढ़ता दबाव!


नेतन्याहू पर गाजा में भी शांति वार्ता करने का दबाव बढ़ रहा है. प्रदर्शनकारियों और बंधकों के परिवारों का कहना है कि प्रधानमंत्री को गाजा में भी वही रणनीति अपनानी चाहिए जो उन्होंने लेबनान के साथ अपनाई. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या नेतन्याहू इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाते हैं. एजेंसी इनपुट