`सत्ता` के खौफ में हैं इस देश के परिवार, खून के रिश्तों को अपने से कर रहे अलग
म्यांमार में सैन्य सत्ता आने के बाद अब वहां के परिवारों में एक अजीब सा ट्रेंड देखने को मिल रहा है. परिवार के लोग अखबारों में नोटिस देखकर अपने सगे संबंधियों से नाता तोड़ रहे हैं.
नई दिल्ली: हाल ही में म्यांमार में एक नया चलन सामने आया है. नवंबर 2021 के बाद से हर दिन लगभग 6 से 7 परिवारों को देश के सरकारी समाचार पत्रों में नोटिस पोस्ट करते देखा जा सकता है. इन नोटिसों की खास बात यह है कि परिवारों ने अपने परिवार के सदस्यों जैसे बेटियों, बेटों, भतीजों, भतीजों और पोते-पोतियों के साथ संबंध तोड़ने की घोषणा की है.ये रिश्ते वह है जिन्होंने सार्वजनिक रूप से सत्तारूढ़ सैन्य जुंटा का विरोध किया है.
तख्तापलट के बाद सेना ने की है ये घोषणा
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के अनुसार, तख्तापलट के बाद सत्ता पर कब्जा करने वाली सेना ने घोषणा की है कि वह अपने विरोधियों की संपत्तियों पर कब्जा कर लेगी. उसके बाद इस तरह की प्रवृत्ति तेज हो गई है. सेना ने यह भी कहा कि वह प्रदर्शनकारियों को शरण देने वाले लोगों को भी गिरफ्तार करेगी. घोषणा के बाद घरों पर भी कई छापे मारे गए थे.
मां-बाप ने बेटे को ही सार्वजनिक रूप से कर दिया अस्वीकार
एक पूर्व कार विक्रेता लिन लिन बो बो, सैन्य शासन का विरोध करने वाले एक सशस्त्र समूह में शामिल हो गया है. उसके माता-पिता ने एक ऐसे नोटिस में अपने बेटे को अस्वीकार कर दिया है. यह नोटिस उनके माता-पिता सैन विन और टिन टिन सो ने नवंबर में सरकारी अखबार 'द मिरर' में पोस्ट किया था. उसमें कहा गया है, "हम घोषणा करते हैं कि हमने लिन लिन बो बो को अस्वीकार कर दिया है क्योंकि उसने कभी अपने माता-पिता की बात नहीं सुनी."
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26 वर्षीय लिन लिन बो बो कहा कि वह अखबार में नोटिस पढ़कर रोया. मेरे साथियों ने मुझे आश्वस्त करने की कोशिश की कि दबाव में परिवारों के लिए ऐसा करना अनिवार्य था लेकिन इस बात से लिन लिन बो बो बहुत दुखी था. नोटिस का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों को यह संदेश देना है कि उन्हें अपने बच्चों के कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए.
नोटिसों पर सरकारी प्रवक्ता ने दिया ये कमेंट
बता दें कि नवंबर में एक समाचार सम्मेलन में इन नोटिसों पर कमेंट करते हुए सैन्य प्रवक्ता जॉ मिन टुन ने कहा कि जिन लोगों ने समाचार पत्रों में इस तरह की घोषणा की है, उन पर अभी भी आरोप लगाया जा सकता है यदि वे जुंटा के विरोध का समर्थन करते हुए पाए जाते हैं.
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