Niger Military Coup Latest Updates: अफ्रीका देश नाइजर में 26 जुलाई को हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से हालात काफी विकट चल रहे हैं. इस घटनाक्रम से यूक्रेन से युद्ध में उलझे रूस की अचानक पौ बारह हो गई है. तख्तापलट के बाद नाइजर के लोग रूसी झंडे लेकर फ्रांस- इटली के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और पश्चिमी देशों को उनका देश छोड़ने की मांग कर रहे हैं. वहीं पश्चिमी अफ्रीकी देशों के समूह ECOWAS की निंदा करते हुए 1 हफ्ते में यथास्थिति बहाल करने की मांग की है. चेतावनी दी गई है कि ऐसा न करने वह अपनी ओर से कार्रवाई करेगा. 


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26 जुलाई को हुआ था तख्तापलट


बता दें कि नाइजर (Niger Military Coup Latest Updates) में राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ौम की सरकार थी लेकिन राष्ट्रपति सुरक्षा गार्ड के कमांडर जनरल अब्दौराहामाने त्चियानी ने 26 जुलाई को उन्हें सत्ता से हटाकर खुद गद्दी कब्जा ली थी. इसके बाद ECOWAS से जुड़े 15 देशों के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने 30 जुलाई को मीटिंग कर हालात पर चर्चा की. इसमें नाइजर में संवैधानिक व्यवस्था बहाल करने के लिए एक हफ्ते की समयसीमा दी गई. इसके बाद 2 अगस्त को नाइजीरिया की राजधानी अबूजा में सदस्य देशों के राष्ट्र प्रमुखों की बैठक हुई, जिसमें नाइजर में लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम करवाने पर जोर दिया गया. 


ECOWAS ने कड़ी निंदा 


ECOWAS में गिनी बिसाऊ, लाइबेरिया, माली, नाइजर, बेनिन, बुर्किना फासो, काबो वर्डे, कोटे डी आइवर,  सेनेगल, टोगो, गाम्बिया, घाना, गिनी, नाइजीरिया और सिएरा लियोन शामिल हैं. नाइजर से पहले बुर्किना फासो और माली में भी सैन्य तख्तापलट हुआ था, जिसके बाद उन दोनों देशों को संगठन से निलंबित कर दिया गया था. अब नाइजर के खिलाफ भी ऐसे ही प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी गई है. 


रूस की निकल गई लॉटरी!


नाइजर (Niger Military Coup Latest Updates) में हुए एस घटनाक्रम से रूस की लॉटरी निकल गई है. वहां के लोग रूसी झंडे हाथ में लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि फ्रांस ने उनके देश को दशकों तक अपना उपनिवेश बनाए रखा. आजादी मिली तो उसके बाद भी अहम कंपनियों और जमीनों पर नियंत्रण बनाए रखा. लोगों का आरोप है कि नाइजर की सरकारें भी फ्रांस और दूसरे यूरोपीय देशों की मनमानी के आगे कुछ कर नहीं पा रही थी. इसलिए तख्तापलट बहुत जरूरी हो गया था. वहीं रूस ने बिना देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किए, उनके देश का हमेशा समर्थन किया है.