जकार्ताः रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध (Russia Ukraine War) का आज 28वां दिन है. इस दौरान दोनों ही देशों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसा नहीं है कि युद्ध का असर केवल इन दोनों देशों पर पड़ा हो. दुनिया के कई देश भी इससे प्रभावित हो रहे हैं. आलम यह है कि एशिया के देश भी इससे अछूते नहीं हैं.


पूरी दुनिया पर असर


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युद्ध अक्सर भाग लेने वाले पक्षों तक सीमित नहीं रहता. यह पूरी दुनिया में एक व्यापक प्रभाव पैदा करता है, जो दुनिया भर में कई तरह की समस्याओं का कारण बनता है. यहां तक कि लड़ाई से दूरी बना रहे देश भी अछूते नहीं रहते. रूस और यूक्रेन संघर्ष (Russia and Ukraine Conflict) ने यूरोप में अलर्ट की स्थिति पैदा कर दी है, लेकिन तेल की बढ़ती कीमतों के संदर्भ में इसका प्रभाव दुनिया भर में महसूस किया जा रहा है.


इंडोनेशिया पर असर


सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, यूक्रेन संघर्ष का एक और प्रभाव इंडोनेशिया (Indonesia) पर भी पड़ा है. यहां 'नूडल संकट' पैदा हो गया है. दोनों देशों के बीच चल रही जंग से इंडोनेशिया में प्रतिष्ठित और अत्यधिक लोकप्रिय 'इंडोमी' नूडल्स की कमी (Indonesia Noodle Crisis) हो गई है.


गेंहू की हुई कमी


यूक्रेन इंडोनेशिया (Indonesia) का गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक है. रूसी आक्रमण के बाद से यूक्रेनी बंदरगाहों (Ukrainian ports) पर गतिविधि काफी धीमी हो गई है. इस प्रकार गेहूं के आटे से बने इंडोमी नूडल्स (Indomi Noodles) का उत्पादन प्रभावित हुआ है.


स्टॉक की बड़ी कीमतें


इंडोमी ब्रांड खुद को इंडोनेशिया में इंस्टेंट नूडल्स बनाने वाला पहला ब्रांड कहता है. यह इंडोनेशियाई समाज के सभी वर्गों में लोकप्रिय है. छात्रों से लेकर किसी भी शख्स को जल्दी नाश्ता करने के लिए, ये नूडल्स ही समाधान है. मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि देश में स्टोर नुडल्स के पैक तेजी से खत्म हो रहे हैं और बाकी बचे स्टॉक की कीमतें बढ़ गई हैं.


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गेंहू का नहीं हो रहा निर्यात


इंडोनेशिया के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, यूक्रेन ने अकेले वर्ष 2020 में इंडोनेशिया को 30 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था. अल जजीरा के हवाले से एक शोधकर्ता ने कहा कि ऐसे संकेत मिले हैं कि इंडोनेशिया को निर्यात होने वाले गेहूं की आपूर्ति काफी मुश्किल से हो रही है.


बंदरगाहों पर गतिविधियां बंद


 


सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) के एक शोध सहायक लेस्ट्री जे बरनी ने कहा कि जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तो यूक्रेनी बंदरगाहों (Ukrainian ports) पर गतिविधियां बंद हो गईं. कई अन्न भंडार रूसी सैनिकों (Russian Soldiers) के कब्जे वाले क्षेत्रों के करीब स्थित थे. ऐसे में इन सामग्रियों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. 
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