नई दिल्ली: हम आपको उत्तर कोरिया से एक ऐसी खबर बताएंगे, जिसके बाद आपको भारत का लोकतंत्र और यहां की असीमित आजादी बहुत खूबसूरत लगने लगेगी. भारत से लगभग पांच हजार किलोमीटर दूर उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जॉन्ग उन ने 11 दिनों के लिए अपने देश के नागरिकों के हंसने, खुशी मनाने और शराब का सेवन करने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है.


लोगों के हंसने पर लगी पाबंदी


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ये प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है क्योंकि वर्ष 2011 में आज ही के दिन उत्तर कोरिया के पूर्व सुप्रीम लीडर और किम जॉन्ग उन के पिता किम जॉन्ग-इल का देहांत हुआ था. यानी उनकी 10वीं पुण्यतिथि पर उत्तर कोरिया में शोक का माहौल रहे, इसके लिए तानाशाह किम जॉन्ग उन ने लोगों के हंसने पर ही पाबंदी लगा दी.


भारत जैसे देश में जहां बहुत सारे लोग आजादी के महत्व को नहीं समझते हैं, आज उन्हें उत्तर कोरिया के ढाई करोड़ लोगों का दर्द समझना चाहिए, जो खुल कर अपनी भावनाएं भी व्यक्त नहीं कर सकते. उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जॉन्ग-उन ने फैसला किया है कि उनके पिता की याद में 11 दिनों का राष्ट्रीय शोक मनाया जाएगा.


नियम तोड़ने पर मिल सकती है मौत 


इस दौरान लोगों के हंसने पर पूरी तरह पाबंदी होगी. हर शहर की पुलिस को ये सुनिश्चित करना होगा कि 11 दिसम्बर से 27 दिसम्बर के बीच सार्वजनिक जगहों पर लोग हंसते हुए ना दिखाई दें. इसके अलावा रिहायशी इलाकों में भी लोगों की निगरानी के लिए पुलिस तैनात रहेगी. अगर राष्ट्रीय शोक के दौरान कोई व्यक्ति हंसता हुआ मिलता है तो उसे वैचारिक अपराधी मान कर गिरफ्तार कर लिया जाएगा. बिना कोई केस चलाए उसे कठोर से कठोर सजा सुनाई जाएगी, ये सजा मौत की भी हो सकती है.


हंसने के साथ लोग खुशी भी नहीं मना पाएंगे. अगर किसी परिवार में किसी बच्चे का जन्म होता है, तो उस परिवार के सदस्य उदास ही रहेंगे और वो एक-दूसरे को बधाई भी नहीं देंगे. अगर इस दौरान किसी का जन्मदिन होता है तो वो व्यक्ति अपने इस दिन को भी सेलिब्रेट नहीं कर सकता. एक और बात, इन 11 दिनों में जो लोग अपने घरों से बाहर जाएंगे, उन्हें ये सुनिश्चित करना होगा कि वो बहुत उदास दिखें.



अंतिम संस्कार की भी मनाही


अगर किसी परिवार में किसी व्यक्ति का देहांत हो जाता है, तो उस परिवार के लोग इन 11 दिनों में तेज आवाज में रो भी नहीं सकते. अगर रोने की आवाज घर से बाहर तक आती है तो उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इसके अलावा राष्ट्रीय शोक के दौरान मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने की भी अनुमति नहीं होगी. सोचिए, इस दौरान वहां जो व्यक्ति अपने प्रियजनों को खो देगा, वो अपना दर्द भी खुल कर जाहिर नहीं कर पाएगा.


ये कितना बड़ा और भद्दा मजाक है, लेकिन मानव अधिकारों के चैम्पियन बनने वाले पश्चिमी देश इस पर चुप हैं. संयुक्त राष्ट्र ने भी अब तक उत्तर कोरिया के इस तानाशाह फैसले पर कुछ नहीं है. इससे इन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और पश्चिमी देशों की पोल खुलती है.


शराब पीने पर हो सकती है जेल


राष्ट्रीय शोक के दौरान उत्तर कोरिया में शराब की दुकानें भी बन्द रहेंगी. अगर इस दौरान कोई व्यक्ति अपने घर में रह कर भी शराब का सेवन करता है और उसकी शिकायत पुलिस को मिलती है तो उसे उम्रभर के लिए जेल में डाल दिया जाएगा.


इसके अलावा ये नियम केवल आज के लिए लागू था कि वहां आज किम-जॉन्ग-इल की पुण्यतिथि पर लोग बाजार से कोई सामान भी नहीं खरीद सकते. यानी अगर किसी के घर में राशन खत्म हो गया है तो वो आज भूखा रहेगा और कोई खरीदारी नहीं करेगा.


किम जॉन्ग-उन के पिता किम जॉन्ग-इल उत्तर कोरिया के लोगों के लिए कोई मसीहा नहीं थे बल्कि उन्हें मौजूदा तानाशाह से भी ज्यादा कट्टर और खतरनाक माना जाता था. वह वर्ष 1994 से 2011 तक यानी पूरे 17 वर्षों तक उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर रहे और इस दौरान उन्होंने सैकड़ों लोगों की हत्याएं करवाईं, हज़ारों लोगों को जेल में कैद करके उन पर अत्याचार किए और उत्तर कोरिया के लोगों से उनके अधिकार और आजादी छीन ली थी.


क्रूर तानाशाह था किम जॉन्ग इल


यानी उत्तर कोरिया का इतिहास उनकी क्रूर तानाशाही से भरा पड़ा है, लेकिन इसके बावजूद आज वहां के ढाई करोड़ लोग ना चाहते हुए उन्हें उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं और उन्हें उदास दिखने का ढोंग करना पड़ रहा है. हालांकि वहां ये पहली बार नहीं हुआ है.


वर्ष 2011 में जब किम जॉन्ग-इल का दिल का दौरा पड़ने से 69 वर्ष की उम्र में देहांत हुआ था. उस समय उत्तर कोरिया के हर एक नागरिक को ये कहा गया था कि अगर उसने अपने सुप्रीम लीडर की अंतिम यात्रा में शामिल होकर आंसू नहीं बहाए तो भयंकर यातनाएं दी जाएंगी और उनके बच्चों का जीवन भी शुरू होने से पहले ही समाप्त कर दिया जाएगा.


उस समय लाखों लोग डर की वजह से उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग की सड़कों पर निकल आए थे और झूठे आंसुओं के साथ उन्होंने अपने क्रूर सुप्रीम लीडर को अंतिम विदाई दी थी.


क्या भारत में ऐसा मुमकिन?


अब एक बार सोच कर देखिए कि क्या भारत में ऐसा हो सकता है? भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां 135 करोड़ लोगों के पास खुल कर हंसने, खुल कर रोने और खुल कर कुछ भी कहने की आजादी है. यहां आप कुछ लोगों को किसी नेता की पुण्यतिथि पर उसे अपशब्द कहते हुए भी देख सकते हैं.


उदाहरण के लिए जैसे उत्तर कोरिया में शराब पीने पर पाबंदी है, वैसे ही 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर देशभर में शराब की दुकानें बन्द रहती हैं. यानी इस दिन Dry Day होता है, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे साल में अगर किसी दिन सबसे ज्यादा शराब ब्लैक में बिकती है तो वो दिन है 2 अक्टूबर. यानी बहुत सारे लोग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर भी शराब के सेवन का त्याग नहीं कर पाते. इससे आप आजादी और तानाशाही में फर्क को आसानी से समझ सकते हैं.