India-China Talks: जिनपिंग के देश पहुंचे भारत के `मिस्टर बॉन्ड`.. चीन बोला- आपसी भरोसा बढ़ाने को तैयार, दिया ये बड़ा बयान
Ajit Doval in China: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल मंगलवार को चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे. डोभाल बुधवार को होने वाली भारत-चीन विशेष प्रतिनिधि (SR) वार्ता में हिस्सा लेंगे.
Ajit Doval in China: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल मंगलवार को चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे. डोभाल बुधवार को होने वाली भारत-चीन विशेष प्रतिनिधि (SR) वार्ता में हिस्सा लेंगे. इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में पिछले चार सालों से जारी सैन्य गतिरोध को हल कर द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर लाना है. इससे पहले चीन ने बयान जारी कर आपसी भरोसे और संवाद को मजबूत करने की बात कही.
डोभाल और वांग यी के बीच अहम बैठक
अजीत डोभाल इस विशेष प्रतिनिधि वार्ता के दौरान अपने चीनी समकक्ष और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करेंगे. यह वार्ता भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने और पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी पर आगे बढ़ने के लिए आयोजित की गई है. गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच गश्त और सैनिकों की वापसी को लेकर एक समझौता हुआ था. इसके बाद से उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देश आपसी संवाद के जरिए विश्वास बहाली की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.
आपसी भरोसे को बढ़ाने पर जोर
इस महत्वपूर्ण वार्ता से पहले चीन ने मंगलवार को एक बड़ा बयान दिया. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बनी सहमति को लागू करने के लिए तैयार है. लिन जियान ने कहा, "हम भारत के साथ संवाद और संचार के जरिए आपसी विश्वास को बढ़ाने और मतभेदों को सुलझाने के लिए काम करने को तैयार हैं. चीन दोनों देशों के नेताओं की सहमति के अनुरूप द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और स्वस्थ विकास की ओर ले जाना चाहता है."
भारत-चीन संबंधों में तनाव का इतिहास
भारत और चीन के बीच 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बना हुआ है. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के चार सैनिकों की भी मौत हुई थी. तब से लेकर अब तक कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन सीमा पर पूरी तरह से शांति स्थापित नहीं हो सकी है. इसी कारण दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी बनी हुई है.
रूस में मोदी-शी की मुलाकात के बाद सकारात्मक संकेत
हाल ही में अक्टूबर में रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी. इस बैठक में दोनों नेताओं ने संवाद बढ़ाने और मतभेदों को सुलझाने पर सहमति जताई थी. उस समय दोनों नेताओं ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे आगे के कदम उठाकर द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की दिशा में काम करें.
चीन की प्रतिबद्धता और भारत की रणनीति
चीन ने यह भी कहा कि वह भारत के साथ मिलकर दोनों देशों के "मुख्य हितों और प्रमुख चिंताओं" का सम्मान करेगा. चीन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अजीत डोभाल की यात्रा को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस वार्ता में मुख्य रूप से सैनिकों की वापसी, गश्त के नियम और सीमा पर शांति बहाली जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी. भारत की रणनीति साफ है- सीमा पर यथास्थिति बहाल करना और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना.
वार्ता से क्या उम्मीदें?
विशेष प्रतिनिधि वार्ता का 23वां दौर इसलिए भी अहम है क्योंकि यह लंबे समय बाद हो रही है. पिछले चार सालों में भारत और चीन के बीच संवाद सीमित रहा है. हालांकि, सितंबर में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में डोभाल और वांग यी की मुलाकात के बाद से सकारात्मक संकेत मिले हैं. इस वार्ता में भारत-चीन सीमा पर "पूर्ण सैन्य डिसएंगेजमेंट" यानी सैनिकों की पूरी तरह वापसी पर जोर दिया जाएगा. इसके अलावा, दोनों देश आपसी विश्वास बहाली के लिए नए उपायों पर भी चर्चा कर सकते हैं.
(एजेंसी इनपुट के साथ)