China Military Plan on Taiwan: क्या शी जिनपिंग वर्ष 2027 तक ताइवान पर हमला करने के लिए रेडी रहने का आदेश दे चुके हैं. क्या राष्ट्रपति के आदेश पर अमल करते हुए चीनी सेना तेजी से अपनी वॉर ड्रिल और युद्ध के दौरान जरूरत पड़ने वाली चीजों का स्टॉक करने में जुटी है. यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि चीन ने डोंगयिंग के पूर्वी चीनी बंदरगाह में पेट्रोलियम का स्टॉक करने वाली नई विशालकाय स्टोरेज फैसिलिटी का निर्माण कंप्लीट कर लिया है. इस साल की शुरुआत में इस स्टोरेज फैसिलिटी में 31.5 मिलियन बैरल तेल भरा गया. यह तेल रूस से मंगवाया गया था, जो खुद पर लगे प्रतिबंधों से बचने के लिए चीन को सस्ते में तेल दे रहा है. 


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जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल जमा कर रहा चीन


रक्षा विशेषेज्ञों का कहना है कि चीन ने अपने स्ट्रेटजिक एनर्जी रिजर्व को 280 से 400 मिलियन बैरल तेल करने का टारगेट रखा है. यह अमेरिका के 364 मिलियन बैरल तेल के टारगेट से भी ज्यादा है. जबकि चीन का रोजाना की तेल खपत लगभग 14 मिलियल बैरल है. इससे साफ पता लग रहा है कि चीन, रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे बड़ी मात्रा में रिजर्व कर रहा है.


क्या युद्ध की तैयारी में लगा है चीन?


एक्सपर्टों के मुताबिक यह चीन की किसी बड़ी तैयारी का हिस्सा है. वह आने वाले किसी बड़े युद्ध की तैयारी में लगा है. युद्ध के दौरान उसे कच्चे तेल की सप्लाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है या फिर उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग सकते हैं, जिससे उसकी फैक्ट्रियों की कमर टूट जाएगी. इसीलिए वह अपनी जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल स्टोर करने में लगा है, जिससे हालात विपरीत भी हों तो भी देश के उद्योग धंधे काम करते रहें. 


ताइवान पर हमला कर सकता है चीन


यूएस इंटेलिजेंस के पूर्व कमांडर माइक स्टुडमैन, चीन शायद किसी बड़े युद्ध की तैयारी में लगा हुआ है. यह ताइवान पर अटैक की प्रीप्रेशन भी हो सकती है या अपने नजदीकी पड़ोसी देशों के साथ बड़ी सैन्य झड़प भी. वे अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं कि शी जिनपिंग अपने देश को युद्ध के लिए तैयार में लगे हैं. वे चीनी समाज का तेजी से सैन्यीकरण कर रहे हैं और अपने देश को संभावित हाई डेंसिटी वाले युद्ध के लिए रेडी करने में जुटे हैं. 


रूस- यूक्रेन युद्ध से सीखे कई सबक


रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने रूस- यूक्रेन युद्ध से काफी सबक सीखा है. उसने समझ लिया है कि अगर वह बिना तैयारी के युद्ध में जाता है तो उसे क्या क्या नुकसान झेलने होंगे. इसीलिए वे अपने तेल समेत जरूरी वस्तुओं और संसाधनों के रिजर्व को बढ़ाने में जुटा है. जिससे युद्ध में जाने पर उसकी आर्थिक तरक्की पर कोई असर न पड़ सके. इसके साथ ही वह यह भी समझ गया है कि धीमी तीव्रता के बजाय उसे इतनी तेजी के साथ युद्ध छेड़ना होगा कि दुनिया खासकर अमेरिका को कोई प्रतिक्रिया करने का मौका न मिल सके और वह ताइवान पर हमला कर अपनी पसंद की सरकार बिठा सके. 


सेनाओं को तैयारी के लिए 2027 तक का समय


अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि शी जिनपिंग ने अपनी सेनाओं को ताइवान पर हमला करने के लिए 2027 तक का समय दिया है. इस डेडलाइन को ध्यान रखते हुए ही चीनी सेना लगातार ताइवान के आसपास मिलिट्री ड्रिल कर रही है, जिससे तेजी के साथ उस पर हमला कर एक झटके में उस पर कब्जा किया जा सके. हालांकि अमेरिकी सरकार इस डेडलाइन को लेकर असमंजस में हैं. सरकार में कई लोग ऐसे हैं, जो इस बात को लेकर संशय में हैं कि क्या शी ने वाकई ताइवान पर हमला करने का निर्णय ले लिया है.