China News In Hindi: चीन आज भले ही आर्थिक महाशक्ति होने का दम भरता हो, उसके पीछे की सच्चाई बेहद काली है. वर्कर्स का इस कदर शोषण किया जाता है कि उनका दम ही निकल जाए.  ताजा मामला झेजियांग प्रांत के झोउशान से सामने आया है. यहां एक 30 साल के पेंटर के कई अंगों ने अचानक काम करना बंद कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह 104 दिन से काम कर रहा था और बीच में सिर्फ एक छुट्टी दी गई थी.


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परिवार को कंपनी देगी मुआवजा


चीन की एक अदालत ने कहा कि पेंटर की मौत में 20% जिम्मेदारी उस कंपनी की है जो उससे काम करवा रही थी. कंपनी को मृतक के परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया गया है. साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पेंटर को एक न्यूमोकोकल संक्रमण हो गया था. यह खराब इम्यून सिस्टम वाले व्यक्तियों को होता है. संक्रमण बढ़ते-बढ़ते इतना बढ़ा कि पेंटर के श्‍वसन तंत्र ने काम करना बंद कर दिया. 28 मई को उसकी तबीयत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई और 01 जून को उसने दम तोड़ दिया.


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रिपोर्ट के अनुसार, पेंटर ने पिछले साल फरवरी में कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था. उसे जनवरी तक काम करना था. उसे झोउशान में एक प्रोजेक्ट का काम सौंपा गया. अगले कुछ महीनों के दौरान, उसने हर दिन काम किया. सिर्फ 06 अप्रैल के दिन छुट्टी ली. 25 मई को उसने कहा कि तबीयत खराब है. हालत इतनी बिगड़ी कि उसे भर्ती कराना पड़ा.


कोर्ट गए तब जाकर खुली पोल


सोशल सिक्योरिटी से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि शुरू में पेंटर की मौत को काम से जुड़ी चोट नहीं माना गया था क्योंकि उसे बीमार हुए काफी वक्त हो चुका था. लेकिन जब उसके परिवार ने कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तो कहा गया कि वह अपनी मर्जी से ओवरटाइम कर रहा था.


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हालांकि, कोर्ट ने कहा कि पेंटर का वर्कशेड्यूल चीन के लेबर कानूनों के खिलाफ था. चीनी कानूनों के अनुसार, दिन में अधिकतम 8 घंटे और हफ्ते में औसत 44 घंटे काम कराया जा सकता है. अदालत ने कंपनी को पेंटर की मौत में 20% भागीदार मानते हुए परिवार को मुआवजा चुकाने का आदेश दिया.


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