China Philippines Tension: चीन को दक्षिण चीन सागर में अपनी आक्रामक नीतियों की कीमत चुकानी पड़ रही है. दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में शुमार दक्षिण चीन सागर के एक बड़े इलाके पर चीन का वर्चस्व लगभग खत्म हो गया है. यह वही इलाका है, जिस पर चीन लंबे समय से दावा करता रहा है. फिलीपींस ने चीन को सबक सिखा दिया है. 


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चीन का टूटा घमंड


दुनिया के कुछ देशों को दादागिरी करने की आदत होती है, बाद में मुंह की खानी पड़ती है. चीन भी ऐसा ही देश है. अपनी इसी आदत के कारण दुनिया से दुश्मनी मोल लेने वाले चीन के साथ ऐसा ही हो रहा है. जिसका उसे अंदाजा भी नहीं रहा होगा. चीन ने दक्षिण चीन सागर में 2012 से 2021 तक ऐतिहासिक अधिकारों के दावे को लेकर जमकर उत्पात मचाया. इसका असर ये हुआ कि उसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बड़े जल क्षेत्र से हाथ धोना पड़ा है. 


दक्षिण चीन सागर में चीन के लगातार दखल के बाद भी  फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और इंडोनेशिया विवादित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और तेल और गैस क्षेत्रों का विकास जारी रखे हुए हैं. जिसकी वजह से कई बार तो झड़प तक की नौबत भी आ जाती है. और ये संघर्ष अक्सर चीन और फिलीपीन्स के बीच ही होती है.


कुदरत का अवैध दोहन कर रहा चीन


दरअसल फिलीपींस ने चीनी ग्रे जोन रणनीति के बावजूद 2012 के बाद पहली बार स्कारबोरो शोल के आसपास नियमित पेट्रोलिंग कर रहा है. और इसके आसपास के इलाकों से खनिज संपदा का अवैध खनन कर रहा है. कुछ दिनों पहले चीन के तटरक्षक बल के जहाजों ने विवादित दक्षिण चीन सागर के तट पर फिलीपींस के जहाजों को रोका है. 


और थोड़ी देर बाद  फिलीपींस तटरक्षक के एक जहाज और चीनी तटरक्षक बल के एक जहाज के बीच टक्कर हो गई. जिसमें चीनी तटरक्षक बल के एक जहाज ने फिलीपीन के जहाज पर वॉटर कैनन से हमला कर उसका विंडशील्ड तोड़ दिया था. हालांकि फिलीपींस ने भी चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया था.


कई बार टकराव


ये पहला मौका नहीं था कि जब चीन दक्षिण चीन सागर में अपनी दादागिरी न दिखाई हो. लेकिन हर बार उसे दूसरे देशों के साथ संघर्ष ही करना पड़ा है. इससे पहले साल 2023 में अक्टूबर के महीने चीनी जहाज सेकंड थॉमस के आसपास फिलीपीन के जहाजों से दो बार टकराए. 


दो महीने बाद एक और टक्कर हुई, इस बार फिलीपींस के चीफ ऑफ स्टाफ रोमियो ब्राउनर को ले जा रहा एक फिलीपीन जहाज को चीनी तटरक्षक के जहाज ने टक्कर मारी थी. हांलाकि फिलीपींस ने भी इसका करारा जवाब दिया था.


चीन की ढीली पड़ गई अकड़


चीन छोटे देशों पर इसी तरह की हरकतें करके रौब झाड़ता है, लेकिन अमेरिका के जहाज जब साउथ चाइना सी में प्रवेश करते हैं तो चीन की अकड़ ढीली हो जाती है. वह मनमसोस कर केवल आलोचना ही कर पाता है. क्योंकि चीन भी जानता है कि जिस तरह से वो छोटे देशों के साथ करता है अगर वैसा ही अमेरिका के साथ किया तो अंजाम अलग ही होगा. इसीलिए चीन अपना विरोध दर्ज कराने के लिए बस आलोचना ही करता है.


वियतनाम ने भी घेरा


चीन के खिलाफ वियतनाम ने भी ऐसी ही रणनीति अपनाई है. वियतनाम ने स्प्रैटली द्वीप समूह में अपनी फैसिलिटी का आकार तीन गुना कर दिया है. उसने नए बंदरगाहों का निर्माण किया है और द्वीपों पर गश्ती जहाजों को तैनात करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है, जो पहले चीन का विशेष विशेषाधिकार था. चीनी तटरक्षक जहाजों की नियमित गश्त के बावजूद वियतनाम ने भी वैनगार्ड बैंक के आसपास तेल और गैस क्षेत्रों का विकास जारी रखा है. 


ठीक ऐसे ही  इंडोनेशिया ने चीनी तटरक्षकों द्वारा नियमित उत्पीड़न के बावजूद ट्यूना गैस क्षेत्र विकसित किया है. चीनी तटरक्षकों द्वारा लक्षित होने के बावजूद, मलेशिया कसावरी और अन्य तेल और गैस क्षेत्रों में भी अपना कारोबार करता है.


दक्षिण चीन सागर उत्तर में चीन से, पश्चिम में इंडोचाइनीज प्रायद्वीप से, पूर्व में ताइवान और फिलीपींस के द्वीपों से और दक्षिण में इंडोनेशिया से घिरा है. इन देशों में से चीन की इस पर सबसे ज्यादा नजर है और दावा करता है कि इसका लगभग पूरा हिस्सा उसके नियंत्रण में है. लेकिन दूसरे देशों ने चीन के दावे का खंडन करते है और अपनी अपनी सीमा में काम करते हैं. और जब चीन अपनी दादागिरी दिखाता है. तो उसे उसी की भाषा में जवाब देते हैं.