Maldives President Muizzu in China: परंपरा से उलट मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन की यात्रा पर हैं. वह ऐसे समय बीजिंग गए हैं जब करीब तीन लाख पर्यटक भेजने वाले भारत में मालदीव के खिलाफ गुस्सा देखा जा रहा है. तीन मंत्रियों को सस्पेंड कर माले ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश तो की लेकिन भारतीय अब भी नाराज हैं. वहां के मंत्रियों ने पीएम नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप वाली तस्वीर देखकर अनाप-शनाप बयान दिए थे. इधर, एंटी-इंडिया का नारा बुलंद कर सत्ता में आए मुइज्जू अब चीन निकले हैं. उन्हें चीन की तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है. वह बीजिंग में हैं तो वहां का मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (China Global Times) अब भारत को 'ज्ञान' देने लगा है. 


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हां, चीन का सरकारी मीडिया लिखता है कि मालदीव के राष्ट्रपति के पहले चीन दौरे से दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाई पर पहुंच सकते हैं. चीनी विश्लेषकों ने यह भी कहा कि मुइज्जू की बीजिंग यात्रा को प्रो-चाइना के रूप में बताना कुछ भारतीय नेताओं के बीच आत्मविश्वास या भरोसे की कमी को दिखाता है. उनका मानना है, 'दक्षिण एशिया में भारत की काफी समय से चली आ रही खुद को सर्वोच्च मानने वाली मानसिकता मालदीव सहित कुछ क्षेत्रीय देशों के साथ तनावपूर्ण संबंधों की मुख्य वजह है... क्षेत्र में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा की बात को प्रचारित कर भारत को बीजिंग पर दोष नहीं मढ़ना चाहिए.'


2024 में चीन जाने वाले पहले राष्ट्राध्यक्ष


चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के न्योते पर राष्ट्रपति मुइज्जू 8 से 12 जनवरी तक चीन की राजकीय यात्रा पर हैं. राष्ट्रपति जिनपिंग मोइज्जू के लिए एक स्वागत समारोह और भोज भी रखेंगे. दोनों राष्ट्राध्यक्ष बातचीत करेंगे और कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी होंगे. विश्लेषकों ने बताया है कि राष्ट्रपति मुइज्जू 2024 में निमंत्रण पर चीन आने वाले पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष हैं और पिछले साल नवंबर में पदभार संभालने के बाद मालदीव के राष्ट्रपति की किसी दूसरे देश की यह पहली राजकीय यात्रा भी है. यह दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के महत्व को बतलाती है. 


चीनी एक्सपर्ट कह रहे हैं कि मुइज्जू की यात्रा के दौरान दोनों पक्ष बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, हरित अर्थव्यवस्था और पर्यटन के तहत बुनियादी ढांचे के निर्माण पर कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. सिंघुआ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि चीन और मालदीव द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर विचार कर रहे हैं. इस दिशा में आगे बढ़ने की उम्मीद है. 


चीन का अनुभव मालदीव को मिलेगा!


शियामेन के विकास को लेकर अनुभव मालदीव के शहरों पर असर डाल सकता है क्योंकि यह कम समय में दुनिया के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक बनकर उभरा है. एक्सपर्ट कियान ने कहा कि मालदीव के राष्ट्रपति पर्यटकों को आकर्षित करने में शियामेन की स्टोरी से कुछ अनुभव जरूर हासिल करना चाहेंगे. वैसे, चीन से भी काफी लोग मालदीव घूमने जाते हैं. 


एक एक्सपर्ट ने कहा कि पर्यटन पर निर्भर द्वीपीय देश मालदीव के लिए बुनियादी ढांचे का काफी महत्व है और चीन इस क्षेत्र में अग्रणी है. चीनी विश्लेषकों ने राजधानी माले में वेलाना एयरपोर्ट को आधुनिक बनाने, चीन-मालदीव फ्रेंडशिप ब्रिज, चीनी कंपनी द्वारा बनाया पहला क्रॉस-सी ब्रिज जैसे काम गिनाए जिसमें बीजिंग का बड़ा रोल रहा.


ग्लोबल टाइम्स बोला, भारत बॉस बन रहा


Global Times ने लिखा कि राष्ट्रपति मुइज्जू के चीन दौरे पर भारत की पैनी नजर है. 2008 के बाद से सभी राष्ट्रपति पहले भारत जाते थे लेकिन मुइज्जू पहले राष्ट्रपति हैं जिन्होंने परंपरा तोड़ी. भारतीय मीडिया का जिक्र करते हुए ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि नवंबर 2023 में मुइज्जू के सत्ता संभालने के बाद से मालदीव- भारत के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. कुछ लोगों का आरोप है कि मुइज्जू मालदीव को 'इंडिया आउट' की पॉलिसी पर लेकर जा रहे हैं. तीन मंत्रियों की तरफ से पीएम मोदी पर अपमानजनक टिप्पणी का भी जिक्र किया गया. बाद में राष्ट्रपति ने तीनों को निलंबित किया. 


चीन का सरकारी मीडिया कहता है कि दक्षिण एशिया के कुछ देशों के साथ भारत के तनावपूर्ण संबंधों की मुख्य वजह उसका 'रीजनल बॉस' वाला नजरिया है. चीन के विश्लेषकों ने कहा कि चीन पर दोष मढ़ने की बजाय भारत को अपने पड़ोसियों को लेकर अपनी नीतियों पर विचार करना चाहए. 


मालदीव की नीति कैसी है?


फुदान यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर साउथ एशियन स्टडीज के उप निदेशक लिन मिनवांग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि मुइज्जू की डिप्लोमेसी 'भारत पहले' से 'चीन पहले' नहीं बल्कि 'मालदीव पहले' में तब्दील हो रही है. उन्होंने कहा कि मुइज्जू चीन और भारत के बीच नहीं चुन रहे हैं और चीन को उनके ऐसा करने की जरूरत भी नहीं है. इसकी बजाय वह अपने देश के हितों को आगे रख रहे हैं. 


ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारतीय मीडिया ने तथाकथित 'चीन समर्थक' पॉलिसी का प्रचार करके मुइज्जू पर दबाव बनाने की कोशिश की है. चीनी एक्सपर्ट ने कहा कि भारत को थोड़ी उदारता दिखानी चाहिए. इधर, खबर है कि मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने मुइज्जू के बीजिंग से लौटने ही भारत यात्रा का प्लान बनाना शुरू कर दिया है.