Nancy Pelosi Meet Dalai Lama: अमेरिका में हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) ने तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा से मुलाकात की है और उनके साथ 6 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल भी भारत पहुंचा है. प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में दलाई लामा से हुई है, जिसकी फोटो सामने आई है. दलाई लामा और नैंसी पेलोसी की मुलाकात की फोटो देखकर चीन को मिर्ची जरूर लगी होगी, क्योंकि इससे पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि अमेरिका दलाई लामा के साथ किसी भी तरह से संपर्क से दूर रहे.


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चीन को इस मुलाकात से क्या है दिक्कत?


चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दलाई लामा (Dalai Lama) और नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) की मुलाकात पर तीखी टिप्पणी की थी. चीनी प्रवक्ता ने दलाई लामा पर कहा था कि वह महज धार्मिक व्यक्ति नहीं है, बल्कि राजनीतिक हस्ती हैं, जो धर्म का चोला पहन कर चीन के खिलाफ अलगाववादी राजनीति कर रहे हैं.


नैंसी पेलोसी और दलाई लामा की मुलाकात की क्या है वजह


अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल मैककॉल के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा से मुलाकात की है. मैककॉल के अलावा इस ग्रुप में अमेरिकी संसद के छह और प्रमुख सदस्य शामिल हैं, जिनमें नैंसी पेलोसी, मैरिएनेट मिलर, ग्रेगरी मीक्स, निकोल मैलियोटैकिस, जिम मैकगवर्न और एमी बेरा शामिल हैं.


मुलाकात से पहले मैककॉल ने उत्साह व्यक्त करते हुए बताया था,'हम दलाई लामा से मिलने और कई चीजों पर बात करने को लेकर उत्साहित हैं, जिनमें अमेरिकी संसद द्वारा पारित विधेयक भी शामिल है, जिसमें मूल रूप से कहा गया है कि अमेरिका, तिब्बत के लोगों के साथ खड़ा है.' यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन इस विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे, मैककॉल ने कहा, 'हां, वह करेंगे.'


अमेरिकी बिल में क्या है, जिस पर दलाई लामा से हुई चर्चा


अमेरिका ने एक ऐसा बिल पास किया है, जिससे चीन के तिब्बत पर दावे को चुनौती मिलती है. इसमें चीन और दलाई लामा के बीच संवाद की बात पर जोर दिया गया है. यह बिल 12 जून को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में 391-26 के बहुमत से पास हो गया था, जिसके बाद इसे सीनेट की भी हरी झंडी मिल गई है. अब बिल को कानून बनने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन के हस्ताक्षर का इंतजार है. इस बिल में चीन की तरफ से तिब्बत के बारे में फैलाई जा रही 'गलत सूचना' का मुकाबला करने के लिए आर्थिक मदद देने की बात भी शामिल है. यह बिल चीन के उस दावे को खारिज करता है कि तिब्बत हमेशा से उसका हिस्सा रहा है. इसके बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से तिब्बत विधेयक (प्रमोटिंग ए रेजोल्यूशन टू द तिब्बत चीन डिस्प्यूट एक्ट) पर साइन न करने की अपील है.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)