Pakistan Election 2024 Result Update: पाकिस्तान में चुनाव के दौरान नवाज़ शरीफ़ के साथ शहबाज़ शरीफ़ लगातार परछाईं बनकर चलते रहे...ठीक वैसे ही, जैसे कि एक आदर्श भाई चलता है अब एक चौंकाने वाला खुलासा हो रहा है. कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए शहबाज़ का नाम यूं ही आगे नहीं आया. दरअसल पाकिस्तान की फौज ने छोटे भाई के साथ मिलकर बड़े भाई के खिलाफ खेला कर दिया. ये आरोप किसने और क्यों लगाया. यह हम आपको बताते हैं. 


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पाकिस्तान में नई सरकार के लिए वहां की आवाम का इंतजार खत्म हो गया है. इमरान खान के जेल में रहने के बावजूद और पार्टी का निशान जब्त हो जाने के बाद भी उनकी पार्टी के उम्मीदवारों ने बतौर निर्दलीय बेहतर प्रदर्शन किया. इसके बावजूद वे सेना के आगे क्लीन बोल्ड हो गए.  उधर बिलावल भुट्टो के अरमान भी धरे के धरे रह गए.


नवाज से आगे कैसे निकल गए छोटे भाई शहबाज?


सबसे बड़ा झटका लगा नवाज शरीफ को. जो नवाज़ शरीफ कभी प्रधानमंत्री पद के दावेदार नंबर 1 थे, जिन्होंने लंदन से पाकिस्तान आकर अपनी पार्टी में ना सिर्फ नई जान फूंकी बल्कि उनकी रैलियों में उमड़ रही भीड़ भी ये संदेश दे रही थी कि नवाज को ही फिर से देश की बागडोर मिलनी चाहिए. लेकिन अचानक ये कैसे हुआ कि नवाज से आगे उनके छोटे भाई शहबाज कैसे निकलने लगे..? ऐसा क्या हुआ कि शहबाज का नाम आगे आ गया..?


क्या पीएम की कुर्सी के लिए शहबाज ने किया 'खेल'?


आर्मी चीफ से मिलकर नवाज के खिलाफ साजिश?


सत्ता के लिए भाई बना भाई का दुश्मन?


शहबाज ने दिया नवाज शरीफ को धोखा?


ये ऐसे सवाल हैं जो हर किसी के जहन में हैं और ये सवाल उठने लाजिमी भी हैं.. चुनाव से लेकर तख्तापलट तक.. इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान में वहां की फौज का ही दखल रहा है. प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा. देश का राष्ट्रपति कौन हो..? यहां तक कि किस सूबे में कौन सा मुख्यमंत्री होगा..? हर किसी का फैसला पाकिस्तानी सेना ही करती रही है.


पर्दे के पीछे से सरकार चला रहे जनरल मुनीर


अब पाकिस्तान में शहबाज फिर से प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं तो इसके पीछे भी मर्जी पाकिस्तान के सेना प्रमुख अमीम मुनीर की ही है. पर्दे के पीछे का सारा खेल सेना का है. सभी सियासी चाल सेना ने ही चली है. नवाज शरीफ, शहबाज शरीफ, बिलावल भुट्टो. ये तो बस सियासी मोहरे हैं.


सत्ता के लिए शहबाज शरीफ ने अपने उसी भाई को फंसा दिया, जिससे उसने सियासी गुर सीखे थे.. लेकिन सेना के साथ मिलकर शहबाज ने नवाज शरीफ को ही धोखा दे दिया. अब इस बात की तस्दीक इमरान खान की पार्टी के चेयरमैन परवेज इलाही ने भी की है. इलाही का दावा है कि नवाज शरीफ को उनके भाई शहबाज शरीफ ने 'फंसाया' है और उनका अपमान किया है. अब नवाज शरीफ को पूरा जीवन चेहरा छिपाते हुए बिताना होगा.


पीटीआई चेयरमैन ने किया दावा


एक जमाने में परवेज इलाही शरीफ परिवार के ही करीबी हुआ करते थे. लिहाजा उनके दावे को यूं नजरअंदाज नहीं कर सकते. अब यहां शहबाज की सियासी चाल और पाकिस्तानी फौज का खेल समझते हैं. दरअसल पूरी दुनिया को मालूम है कि जब पहले शहबाज प्रधानमंत्री थे तो उनके हाथ में सत्ता के केवल नाम की थी. अर्थव्यवस्था से लेकर सरहद की सुरक्षा, सभी का फैसला सेना ही करती थी. लिहाजा सेना फिर से वैसा ही कंट्रोल अपने हाथ में चाहती थी.


लेकिन शहबाज के चेहरे पर नवाज की पार्टी को वोट नहीं मिलने वाले. इसलिए सेना के साथ मिलकर शहबाज ने नवाज के नाम का इस्तेमाल किया. लंदन से पाकिस्तान बुलाकर चुनावी लहर तैयार की और नवाज शरीफ भी फिर से पाकिस्तान की बागडोर अपने हाथ में पाने का ख्वाब देखते रहे. लेकिन पर्दे की पीछे पटकथा तो कुछ और लिखी जा रही थी. अगर नवाज प्रधानमंत्री बनते तो सरकार पर सेना का कंट्रोल वैसा नहीं रहता जैसा शहबाज के साथ था. 


सेना की राजनीति के आगे मात खा गए नवाज


सेना की कठपुतली बने शहबाज शरीफ के आगे नवाज मात खा गए. लेकिन पाकिस्तानी सेना के लिए भी चुनौती इतनी आसान नहीं, जितना हो समझती है. पाकिस्तान में अब सेना के खिलाफ भी विरोध की आवाज मुखर होने लगी है.


पाकिस्तान के चुनाव में धांधली हुई और इसके पीछे भी हाथ पाकिस्तानी सेना का ही बताया जा रहा है..अब मौलाना फजलुर्रहमान ने भी पाकिस्तानी सेना की पोल खोलकर रख दी है. चुनाव में सेना के दखल का आरोप लगाते हुए मौलाना ने कहा है कि इमरान सरकार को गिराने में भी पाकिस्तानी फौज शामिल रही है. 


इमरान खान ने भी पाकिस्तान चुनाव में धांधली के आरोप लगाए. उनकी पार्टी के कार्यकर्ता विरोध में सड़क पर भी उतरे. इमरान ख़ान के लाखों समर्थक शनिवार को भी चुनावी नतीजे का विरोध करेंगे. इस्लामाबाद से पेशावर और खैबर पख्तू-ख्वा से कराची तक सब कुछ ठप हो जाएगा. पाकिस्तान में गृह युद्ध का खतरा मंडरा रहा है.


अमेरिका समेत पश्चिमी दुनिया में हो रही किरकिरी


चुनावी धांधली की खबर से पाकिस्तान की पूरी दुनिया में किरकिरी हो रही है. अमेरिका भी नजर बनाए हुए है. अमेरिकी सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, हम चिंतित हैं और पाकिस्तान से मिल रहीं डराने धमकाने, मतदाताओं के दमन और इसी प्रकार की दूसरे खबरों पर अपनी चिताएं साझा करते हैं और इस पर करीब से नजर रख रहे हैं..वोटों की गिनती अब भी जारी है, अंतरराष्ट्रीय निगरानीकर्ता अब भी मतगणना पर नजर बनाए हुए हैं. 


खैर पाकिस्तान में जिस तरह लोकतंत्र की धज्जियां उड़ीं.. चुनाव के नाम पर सिर्फ मजाक हुआ.. और जिस तरह दांव पेच के बाद देश को नया प्रधानमंत्री मिलने वाला है. उससे साफ है कि पाकिस्तान की तकदीर आगे भी बदलने वाली नहीं. दिवालियेपन की कगार पर खड़े इस मुल्क की बर्बादी तय है. दूसरों के खिलाफ साजिश रचने वाला पाकिस्तान अपनी ही आग में झुलसता दिख रहा है.