Imran Khan Party Ban: पाकिस्तान में पूर्व पीएम इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. एक के बाद दूसरे केस में अदालतों के चक्कर लगा रहे इमरान खान को अब अपनी पार्टी से हाथ धोना पड़ेगा. पाकिस्तान की शहबाज सरकार इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसान (पीटीआई) पर बैन लगाने जा रही है. यह फैसला ऐसे समय पर आया है, जब हाल ही में कोर्ट ने इमरान खान और उसकी पत्नी बुशरा बीबी को इद्दत मामले में बरी किया है. 


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1996 में इमरान ने बनाई थी पार्टी


पाकिस्तान के सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तरार ने कहा कि पाकिस्तान सरकार जेल में बंद इमरान खान की पार्टी को देश-विरोधी गतिविधियों के आरोप में बैन करेगी. पाकिस्तान में पीटीआई एक राष्ट्रीय पार्टी है, जिसकी स्थापना इमरान खान ने साल 1996 में की थी. इसके बाद से यह पाकिस्तान की सबसे तेजी से उभरने वाली पार्टी बनी. साल 2018 के चुनाव में  इमरान खान की पार्टी सत्ता में आई. लेकिन अप्रैल 2022 में विश्वासमत के दौरान वह गिर गई. पाकिस्तान सरकार ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में उसके पिछले हफ्ते दिए गए आदेश के खिलाफ एक रिव्यू पिटीशन दायर करेगी, जिसमें पीटीआई की एक राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थिति की पुष्टि की गई थी. 


सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि इमरान खान की पार्टी नेशनल असेंबली में 20 से ज्यादा अतिरिक्त आरक्षित सीटों के योय है, जिससे देश की कमजोर गठबंधन सरकार पर दबाव बढ़ गया है. 


जेल में कैद हैं इमरान


इससे पहले पाकिस्तान की एक अदालत ने इमरान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को कथित भ्रष्टाचार के एक नए मामले की जांच के वास्ते रविवार को आठ दिन की हिरासत के लिए भ्रष्टाचार विरोधी अधिकारियों को सौंप दिया. जिला-सत्र अदालत ने शनिवार को गैर इस्लामी शादी मामले में दोनों को बरी कर दिया था. लेकिन इसके तुरंत बाद उन्हें राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने गिरफ्तार कर लिया था.


अदालत ने आदेश में यह भी कहा था कि अगर अन्य मामलों में दोनों वॉन्टेड नहीं हैं तो उन्हें तत्काल रिहा कर दिया जाए. खान दंपती के खिलाफ नया तोशाखाना मामला दर्ज करने वाली एनएबी ने रविवार को दोनों को जवाबदेही अदालत के जस्टिस मोहम्मद अली वारिच के सामने पेश किया. 


जज ने कड़े सुरक्षा कारणों से अडियाला जेल के अंदर ही सुनवाई की. खान दंपती को गिरफ्तार करने वाली टीम की अगुवाई करने वाले एनएबी के उपनिदेशक मोहसिन हारून ने अदालत से अनुरोध किया कि दोनों को ब्यूरो की हिरासत में भेजा जाए. अदालत ने वकीलों की दलीलें सुनने के बाद दोनों को आठ दिन के लिए एनएबी की हिरासत में भेज दिया.