Pakistan News: आने वाले दिनों में पाकिस्तान में बड़ा सियासी भूचाल देखने को मिल सकता है. शहबाज शरीफ और उनके करीबी सरकार को मजबूत करने के क्रम में लगातार बैठकें कर रहे हैं. संविधान में भी बदलाव की अटकलों ने जोर पकड़ लिया है. पाकिस्तान की शहबाज सरकार मीडिया से नजर चुराकर सियासी रणनीति तैयार कर रही है. इस सियासी जोड़-तोड़ के बीच पाकिस्तान सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख धर्मगुरु और दक्षिणपंथी राजनीतिक नेता मौलाना फजल-उर-रहमान से मुलाकात की.


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बड़े बदलाव की तैयारी में शहबाज सरकार


रहमान से विवादास्पद संविधान संशोधन विधेयक पर उनका समर्थन भी मांगा. इस विवादास्पद विधेयक का लक्ष्य न्यायपालिका से संबंधित कानूनों में बदलाव करना है. संशोधनों की कोई डिटेल नहीं है, यह अब भी राज है क्योंकि सरकार ने आधिकारिक तौर पर इसे मीडिया से शेयर नहीं किया है. ना ही सार्वजनिक रूप से इस पर चर्चा की है. 


शहबाज को मौलाना रहमान के समर्थन की जरूरत


अभी तक जो रिपोर्ट सामने आई है, उससे पता चलता है कि सरकार न्यायाधीशों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने और सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल तय करने की प्लानिंग में है. सरकार संविधान संशोधन के जरिये संवैधानिक अदालत का गठन करना चाहती है. साथ ही संविधान के अनुच्छेद 63-ए में संशोधन करना चाहती है. यह संशोधन सांसदों के दलबदल से संबंधित है. सरकार के पास संविधान में संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत नहीं है. उसे मौलाना रहमान के समर्थन की जरूरत है. 


इमरान की पीटीआई भी रहमान के संपर्क में


उनकी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के नेशनल असेंबली (संसद) में आठ सदस्य और पांच सीनेटर हैं. उनकी पार्टी संसद में निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में है. पूरे दिन उनपर नजरें टिकी रहीं क्योंकि सरकार और विपक्षी दल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रतिनिधिमंडल ने आज उनसे मुलाकात की. सरकार के प्रतिनिधिमंडल में उप प्रधानमंत्री इसहाक डार, गृह मंत्री मोहसिन नकवी और आजम नज़ीर तरार शामिल थे. 


पीटीआई को भी भरोसे में लिया जाना चाहिए..


सूत्रों ने बताया कि मौलाना सैद्धांतिक रूप से संशोधनों का समर्थन करते हैं, लेकिन पूरी योजना का नहीं. वह यह भी चाहते हैं कि इस बाबत आम सहमति बनाने के लिए पीटीआई को भी भरोसे में लिया जाना चाहिए. सूचना मंत्री अत्ता तरार ने शाम को मीडिया को बताया कि संविधान संशोधन को पेश करने में देरी हो रही है क्योंकि आम सहमति बनाने के लिए विचार-विमर्श जारी है.


(एजेंसी इनपुट के साथ)