पाकिस्तानी सेना ने सोमवार को कहा कि एक ‘संगठित राजनीतिक माफिया’ एक नए काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन ‘अज्म-ए-इस्तेहकाम’ के बारे में गलत सूचना फैला रहा है. इस ऑपरेशन का मकसद आतंकियों के सफाया और आर्थिक विकास, स्थिरता लाना है. 


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सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने रावलपिंडी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ऑपरेशन में कहा, ‘इस ऑपरेशन को नाकाम करने के लिए बड़े एक विशाल अवैध राजनीतिक माफिया खड़ा हो गया है और उस माफिया का पहला कदम झूठे और फर्जी तर्कों के माध्यम से ऑपरेशन को विवादास्पद बनाना है.’


'यह कोई मिलिट्री ऑपरेशन नहीं' 
पाकिस्तान के पिछले मिलिट्री ऑपरेशंन- जर्ब-ए-अज्ब और रद्द-उल-फसाद के कारण बड़े पैमाने पर विस्थापन देखा गया था. मीडिया ने इन दोनों ऑपरेशन का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या मौजूदा ऑपरेशन 'अज्म-ए-इस्तेहकाम' के दौरान भी इसी प्रकार का विस्थापन होगा?


जनरल अहमद शरीफ ने कहा, ‘यह कोई मिलिट्री ऑपरेशन नहीं है, बल्कि एक बड़ी काउंटर टेररिज्म पहल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास और स्थिरता को बढ़ावा देना है.’उन्होंने पिछले सैन्य अभियानों का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमारी समस्या यह है कि हम अपनी राजनीति के कारण हर महत्वपूर्ण मुद्दे को मजाक बना देते हैं.’


'अहम मुद्दों पर न करें राजनीति'
सेना प्रवक्ता ने कहा कि असल बात यह है कि ‘हम राजनीति की वेदी पर बहुत अहम मुद्दों की भी बलि चढ़ा रहे हैं और आज्म-ए-इस्तेहकाम इसका एक उदाहरण है.’उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य केवल ‘पहले से लागू राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) में तेजी लाना है, जिसे 2014 में आतंकवाद को खत्म करने के लिए शुरू किया गया था.


(एजेंसी इनपुट के साथ )