Russia on PM Modi Xi Jinping meeting: भारत और चीन के बीच पिछले 4 साल से चली आ रही सैन्य तनातनी में सुधार की खबरों का रूस ने स्वागत किया है. रूस का कहना है कि इससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलने में मदद मिलेगी. भारत में तैनात रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कजान में हुई मुलाकात मील का पत्थर रही. यह दोनों देशों के संबंधों में एक सकारात्मक पहल रही, जिसका असर आने वाले वक्त में दिखाई देगा. 


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'हम बैठक का तहेदिल से करते हैं स्वागत'


पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच कजान में हुई बैठक में क्या रूस की कोई भूमिका थी? इस सवाल रूसी राजदूत ने कहा, 'हमने इसमें कोई भूमिका नहीं निभाई है, लेकिन हमें खुशी है कि यह बैठक कज़ान में हुई... हम इस बैठक का तहे दिल से स्वागत करते हैं.'


कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर चीन-भारत वार्ता को रूस कैसे देखता है, 'इस सवाल पर दूत ने कहा कि यह लगभग पांच वर्षों के बाद हुआ है और यह "भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में विकास का एक सकारात्मक कदम है.'


'ब्रिक्स एंटी-वेस्ट नहीं बल्कि नॉन-वेस्ट प्लेटफॉर्म'


रूसी राजदूत ने रूसी शहर कज़ान में हाल ही में संपन्न हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन पूरी तरह से सफल करार दिया. उन्होंने यह बात यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के उस बयान के संदर्भ में कही, जिसमें उन्होंने ब्रिक्स समिट को बड़ी विफलता करार दिया था. 


ब्रिक्स की अहमियत बताते हुए अलीपोव ने कहा कि उन्होंने कहा कि यह कोई एक्सक्लूसिव ग्रुप नहीं बल्कि एक इनक्लूसिव प्लेटफार्म है. उन्होंने BRICS को एंटी- वेस्ट कहे जाने की अवधारणा को भी खारिज कर दिया. दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए अलीपोव ने कहा कि ब्रिक्स एंटी-वेस्ट नहीं बल्कि नॉन-वेस्ट प्लेटफॉर्म है. 


ब्रिक्स समिट में मिले थे पीएम मोदी और जिनपिंग


बताते चलें कि कजान में ब्रिक्स समिट के दौरान 23 अक्टूबर को पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति ने प्रतिनिधिमंडल स्तर की द्विपक्षीय बैठक की थी. करीब 5 साल के अंतराल के बाद हुई इस बैठक में दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और सैनिकों की वापसी पर हुए समझौते का समर्थन किया था. साथ ही दोनों देशों के बीच विभिन्न द्विपक्षीय वार्ता तंत्रों को फिर से जीवित करने के निर्देश दिए थे. 


करीब 50 मिनट तक चली इस बैठक में पीएम मोदी ने दोटूक अंदाज में मतभेदों और विवादों को ठीक से संभालने पर जोर दिया था. साथ ही दोनों देशों के रिश्ते मधुर बनाए रखने में सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति की अहमियत एक बार फिर स्पष्ट की थी. उन्होंने जिनपिंग के सामने साफ दोहराया था कि आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता दोनों देशों के बीच संबंधों का आधार बनी रहनी चाहिए.


'भारत-चीन संबंध वैश्विक शांति के लिए महत्वपूर्ण'


जिनपिंग से बातचीत के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर कहा था, 'भारत-चीन संबंध हमारे देशों के लोगों और क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं. आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेगी.'


(एजेंसी पीटीआई)