Hambantota Airport Management: श्रीलंका (Sri Lanka) के जिस हम्बनटोटा बंदरगाह (Hambantota Airport) के जरिए चीन, भारत को घेरने की कोशिश कर रहा था, उसी बंदरगाह पर बने इंटरनेशनल एयरपोर्ट के जरिए उसे बड़ा झटका लगा है. दरअसल, श्रीलंका के हम्बनटोटा स्थित राजपक्षे इंटरनेशनल एयरपोर्ट को श्रीलंका की सरकार ने भारत और रूस की कंपनियों के हाथों में दे दिया है. जबकि, इस इंटरनेशनल एयरपोर्ट को बनाने का काम चीन ने किया था और उसने इस पर करीब 21 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए थे.


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भारत-श्रीलंका की दोस्ती से जला चीन!


हालांकि, इस एयरपोर्ट पर काफी कम फ्लाइट्स आती हैं, जिसके चलते इस हवाई अड्डे से श्रीलंका की सरकार को काफी घाटा हो रहा था. लिहाजा, 2016 से ही श्रीलंका की सरकार हवाई अड्डे के प्रबंधन के लिए भागीदारों की तलाश कर रही थी, जिसे अब भारत और रूस की कंपनियां संभालेंगी.


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नहीं काम आई चीन की चालबाजी


गौरतलब है कि चीन इस एयरपोर्ट का रणनीतिक इस्तेमाल करने की फिराक में था, चूंकि ये भारत के बेहद करीब है. हालांकि, अब चीन को बड़ा झटका लगा है. लेकिन, इसके बावजूद चीन बाज नहीं आ रहा है. मालदीव में चीन समर्थक मुइज्जू की पार्टी की जीत के बाद बीजिंग और माले के बीच फिर नजदीकियां बढ़ती नजर आईं. क्योंकि चीन ने एक बार फिर जासूसी पोत को मालदीव के समुद्री क्षेत्र में उतार दिया है.


हिंद महासागर में चीन की चालाकी


रिपोर्ट के मुताबिक, इस चीनी जासूसी पोत को मालदीव के थिलाफुशी औद्योगिक द्वीप के बंदरगाह पर खड़ा किया गया है. हालांकि मालदीव सरकार ने इस बात की जानकारी नहीं दी है कि पोत की वापसी की वजह क्या है. लेकिन पोत को डॉक करने की अनुमति की पुष्टि जरूर की है.


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चीन का जासूसी पोत जियांग यॉन्ग हॉन्ग 03 इससे पहले भी फरवरी में मालदीव पहुंचा था. जिससे दिल्ली और माले के बीच तनाव बढ़ गया था. इसी साल जनवरी में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन का दौरा किया था और फिर उसके तुरंत बाद ये पोत चीन से निकल गया था. और बाद में ये 22 फरवरी को मालदीव की राजधानी माले पहुंचा था. करीब एक हफ्ते बाद वापस लौट गया था.


उस समय चीन के इस जासूसी पोत को लेकर भारत ने अपनी चिंताएं जताई थीं. लेकिन भारत की चिंताओं के बावजूद चीन के करीबी मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने जासूसी पोत को फिर से इजाजत दे दी है.