China Taiwan: चीन और ताइवान के बीच तनाव में बढ़ोतरी होने की संभावना साल के पहले दिन ही बन गई हैं. चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी न्‍यू ईयर स्‍पीच में कहा है कि चीन के साथ ताइवान के विलय को कोई नहीं रोक सकता है. इस तरह जिनपिंग ने 2.3 करोड़ लोगों के आबादी वाले द्वीप राष्ट्र ताइवान के स्वतंत्रता समर्थक ताकतों को स्पष्ट चेतावनी दे दी है कि चीन उन्‍हें नहीं छोड़ेगा.


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बीते 1 साल से बढ़ाया दबाव


चीन बीते एक साल से ताइवान पर सैन्‍य दबाव बढ़ा रहा है. वह लगातार हवाई क्षेत्र का उल्‍लंघन कर रहा है. चीन हमेशा से लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान अपना क्षेत्र मानता है. जबकि ताइवान बीजिंग के ऐसे दावों को सख्ती से खारिज करता रहा है. ताइवान का कहना है कि ताइवान का भविष्‍य केवल उसके लोग ही तय कर सकते हैं.


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यहां तक कि 14वें दलाई लामा का उत्‍तराधिकारी यानी कि 15वें दलाई लामा को चुनने के लिए भी बीजिंग पूरी ताकत लगा रहा है और इसके लिए उसने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. लेकिन ताइवान का मानना है कि 15वें दलाई लामा को चुनने का अधिकार सिर्फ ताइवान को ही है.


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चीन और ताइवान एक ही परिवार


इधर जिनपिंग अलग ही राग अलाप रहे हैं. उन्‍होंने न्‍यू ईयर स्‍पीच में कहा, 'ताइवान और चीन के लोग एक ही परिवार हैं. कोई भी हमारे पारिवारिक बंधनों को नहीं तोड़ सकता है, और कोई भी चीन के साथ ताइवान के एकीकरण को रोक नहीं सकता.'


बीते साल भी शी ने नए साल के भाषण में यही कहा था और इसके बाद उसने लगातार ताइवान पर सैन्‍य दबाव बढ़ाया. जब से मई 2024 में लाई चिंग-ते ताइवान के राष्ट्रपति बने हैं, चीन का ताइवान के प्रति रवैया और सख्‍त हो गया है. चीन लाई चिंग-ते को चीन 'अलगाववादी' नेता मानता है, जो स्वतंत्र एवं संप्रभु ताइवान की वकालत करते हैं.


इस महीने बड़े पैमाने पर किया युद्धाभ्‍यास


चीन ने ताइवान पर दबाव बढ़ाने के लिए इस महीन कई बार सैन्य अभ्यास किया है और अपना मकसद साफ कर दिया है कि वो ताइवान को हथियाने के लिए बल प्रयोग करने में पीछे नहीं हटेगा. जबकि अमेरिका और भारत समेत दुनिया के कई देश ताइवान की स्वतंत्रता और संप्रभुता का समर्थन करते हैं.