लाहौर: मुम्बई आतंकवादी हमले का मुख्य षड्यंत्रकर्ता एवं जमात उद दावा प्रमुख हाफिज सईद और उसके चार सहयोगियों को अभी कुछ और समय जेल में गुजारना होगा क्योंकि पाकिस्तान की एक अदालत ने उनकी हिरासत मामले में बुधवार (7 जून) को फैसला सुरक्षित रख लिया. न्यायमूर्ति अब्दुल सामी खान के नेतृत्व वाली एक खंडपीठ ने पंजाब सरकार के विधि अधिकारी द्वारा जवाब दाखिल करने और सईद के वकील ए के डोगर द्वारा अपनी दलील पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.


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पंजाब सरकार के जवाब के अनुसार सईद और उसके सहयोगी अब्दुल्ला उबैद, मलिक जफर इकबाल, अब्दुल रहमान अबीद और काजी काशिफ हुसैन को देश की शांति एवं सुरक्षा के प्रतिकूल गतिविधियों में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर संघीय सरकार के निर्देश पर हिरासत में रखा गया था. विधि अधिकारी ने सईद और उसके नजदीकी सहयोगियों की हिरासत पर न्यायिक समीक्षा बोर्ड की रिपोर्ट भी दाखिल की.


ए के डोगर ने दलील दी कि सरकार ने याचिकाकर्ताओं को 30 अप्रैल को उनकी हिरासत अवधि समाप्त होने से पहले न्यायिक समीक्षा बोर्ड के समक्ष पेश नहीं किया और उनकी हिरासत स्वयं से बढ़ा दी. उन्होंने कहा कि समीक्षा बोर्ड की अनिवार्य अनुमति के बिना हिरासत अवधि बढ़ाना ‘अवैध’ है.


उन्होंने कहा कि सरकार ने याचिकाकर्ताओं को ‘‘केवल भारत और अमेरिका को खुश करने’’ के लिए हिरासत में रखा. उन्होंने कहा कि पूर्व में देश की अदालतों ने जमात उद दावा प्रमुख की हिरासत को अवैध करार दिया था क्योंकि सरकार उसके खिलाफ आरोप साबित करने में असफल रही. उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि हिरासत के असंवैधानिक होने के चलते उसे दरकिनार कर दिया जाए.