International North-South Transport Corridor: पुतिन और पाकिस्तान के बीच एक डील हुई है, जिसने भारत की चिंता बढ़ा दी है. पुतिन के निमंत्रण पर पाकिस्तान INSTC यानी इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर से जुड़ने को तैयार हो गया है. इससे पाकिस्तान को तो सीधे तौर पर फायदा मिलेगा, लेकिन भारत के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. तो क्या इसलिए पाकिस्तान इस कॉरिडोर से जुड़ने के लिए तैयार हुआ है.


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सेंट पीटर्सबर्ग से ईरान के रास्ते भारत तक बन रहे INSTC यानी इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का हिस्सा अब पाकिस्तान भी होगा. क्योंकि, पुतिन के न्यौते पर पाकिस्तान इसके लिए तैयार हो गया है. सीधे तौर पर ये भारत के लिए चिंता की बात है. 


दरअसल, अबतक इस कॉरिडोर में पाकिस्तान कहीं नहीं था. ईरान से सीधे भारत का रास्ता था, लेकिन बीच में अब पाकिस्तान आ गया है. इसकी तस्दीक रूस में पाकिस्तान के राजदूत खालिद जमाली ने की है, जिसके मुताबिक पाकिस्तान क्षेत्रीय आर्थिक पार्टनर के नाते इस (INSTC) प्रॉजेक्ट से जुड़ रहा है. 



पाकिस्तान का फायदा, भारत की टेंशन


INSTC से जुड़ना पाकिस्तान के लिए तो फायदे का सौदा ही है. यूरोप उसका व्यापार अभी तक पारंपरिक समुद्री रूट से होता है, जिसमें लागत भी ज्यादा आती और समय भी ज्यादा लगता है. लेकिन नए कॉरिडोर से जुड़ने के बाद पाकिस्तान का पैसा भी बचेगा और समय भी.


पाकिस्तान के इस प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद भारत के लिए कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं क्योंकि, इस कॉरिडोर में ईरान और भारत के बीच पाकिस्तान आ जाएगा. इससे पाकिस्तान कॉरिडोर के लिए टैक्स तो वसूल करेगा. लेकिन तनाव की स्थिति में भारत का बहिष्कार कर सकता है.



भारत पर बढ़ेगा दबाव


पाकिस्तान की तरफ से आतंकी गतिविधियां बढ़ने पर भारत पर दबाव बढ़ेगा कि पाकिस्तान के रास्ते यूरोप से व्यापार रोके. पाकिस्तान की तरफ से कॉरिडोर की वजह से भारत पर दबाव बनाने की कोशिश भी हो सकती है.


पाकिस्तान पर भरोसे को लेकर ही ईरान के रास्ते गैस पाइपलाइन का काम मनमोहन सरकार के समय से ही अधर में अटका है. इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान भरोसे लायक नहीं है. जानकारों का मानना है कि भविष्य में चीन का  CPEC प्रोजेक्ट भी INSTC से जुड़ सकता है, जिससे भारत की चिंता बढ़ सकती है.


क्या है INSTC?


INSTC कॉरिडोर 7200 किलोमीटर लंबा मल्टी मोड ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट है. इसके जरिए भारत का सामान ईरान, अजरबैजान, रूस और यूरोप तक पहुंचाया जा सकता है. लेकिन पाकिस्तान की इस प्रोजेक्ट में एंट्री भारत के लिहाज से ठीक नहीं है.