ओकरा : मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के संस्थापक हाफिज सईद ने पाकिस्तान की राजनीति पर बड़ा हमला किया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के राजनेता भारत और अमेरिका के इशारों पर नाचते हैं. ये नेता भारत-अमेरिका के हाथों की कठपुतली हैं. ओकरा शहर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सईद ने कहा, 'अगर हम अमेरिका के गुलामों और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्तों के लिए मतदान करने का फैसला करते हैं, तो हम अपनी कब्र खोद रहे हैं.'


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हाफिज सईद मंगलवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ओकारा शहर में मिल्ली मुस्लिम लीग के प्रमुख सैफुल्ला खालिद के साथ एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे. उसने कहा, 'मैं आपको यह बात स्पष्ट और जोर देकर बता रहा हूं कि आपके पाकिस्तान से शांति भंग करने, देश को अस्थिर बनाने के लिए बर्बरता पूर्वक इसे एक युद्ध का मैदान बनाया जा रहा है. हमें इन सभी देश विरोधी ताकतों से लड़ने तथा पाकिस्तान को बचाने की जरूरत है.'


वर्तमान सरकार पर हमला करते हुए सईद ने कहा कि मौजूदा सरकार वाशिंगटन और नई दिल्ली के आदेशों पर काम कर रही है. भारत और अमेरिका के खिलाफ जहर उगलते हुए सईद ने कहा, 'भारत, अमेरिका द्वारा समर्थित अफगानिस्तान की मदद से पाकिस्तान को बांटने की कोशिश कर रहा है.' 


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उसने वहां मौजूद लोगों से कहा, 'आपको शायद नहीं पता कि सच्चाई क्या है, आपको वह पता चलता है, जो मीडिया के द्वारा आप तक पहुंचाया जाता है. मैंने बलूचिस्तान में तमाम लोगों से मुलाकात की है, मैं वहां की सड़कों से गुजरा हूं, इसलिएम मुझे हकीकत पता है. और ये सच है कि भारत, पाकिस्तान से बलूचिस्तान को अलग करने की कोशिश कर रहा है.'


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हाफिज सईद ने कहा कि इस्लामाबाद के भ्रष्ट और बेईमान नेता तमाम साधनों के माध्यम से पैसा बनाने के खेल में शामिल हैं, उन्होंने देश की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है.


बता दें कि 25 जुलाई को पाकिस्तान में आम चुनाव होने जा रहे हैं. इन चुनावों में सईद ने अपने बेटे हाफिज तलहा सईद और दामाद खालिद वालिद को भी उम्मीदवार बनाया है. जमात-उद-दावा की राजनीतिक शाखा मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) ने ‘अल्लाह-उ-अकबर तहरीक’ नाम के संगठन के साथ मिलकर राष्ट्रीय और प्रांतीय चुनावों के लिए अपने 265 उम्मीदवारों को उतारा है. इस संगठन ने नारा दिया है, देश को 'इस्लाम का गढ़' बनाओ. जमात-उद-दावा के उम्मीदवार ‘अल्लाह-उ-अकबर तहरीक’ से इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि चुनाव आयोग ने एमएमएल का सियासी पार्टी के तौर पर पंजीकरण नहीं किया है.