नई दिल्ली: एक कहावत है कि दूर के ढ़ोल सुहावने होते हैं. विकसित देशों में नियम-कायदे सख्त होने की वजह से माना जाता है कि वहां के लोग सभ्य भी होते हैं. इसी तरह करप्शन और काम के प्रति ईमानदारी को लेकर भी माना जाता है बाहर के लोग अपने काम के प्रति बेहद जिम्मेदार होंगे. लेकिन अब आपको जिस खबर के बारे में बताने जा रहे हैं उस सच्चाई को जानकर आपके मन में बैठे ऐसे मिथक पूरी तरह दूर हो जाएंगे. 


स्कूल या डंपिंग ग्राउंड


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कभी आधी से ज्यादा दुनिया पर राज करने वाले अंग्रेजों के देश का ये स्कूल गलत वजहों से सुर्खियों में हैं. कोरोना की रफ्तार में आई कमी और वैक्सीनेशन के नतीजों से उत्साहित सरकार ने जब अनलॉक की प्रकिया शुरू की तो स्कूल भी खोले गए. ऐसे में बर्मिंघम (Birmingham) के इस स्कूल में जब बच्चे पहुंचे तो उन्हें लगा कि वो किसी कूड़ा घर या डंपिंग ग्राउंड (Dumping Ground)  के नजदीक आ गये हों. लोकेशन पर मौजूद गंदगी और उसकी स्मेल से हुई परेशानी देखकर पैरेंट्स का गुस्सा भड़क गया. 


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गंदगी का लगा था अंबार


दरअसल स्कूल कैंपस से सटे हिस्से में भयानक गंदगी का अंबार था. वहां मानव मल भी इधर-उधर फैला पड़ा था. नशीली दवाओं के हजारों सीरिंज और कबाड़ देखकर सभी की आंखे फटी की फटी रह गईं. वीडियो देख ऐसा लगता है कि इस कचरे को खुले में सड़ने के लिए छोड़ दिया गया हो. स्मॉल हीथ लीडरशिप एकेडमी के स्टूडेंट्स का बुरा हाल देख स्थानीय लोग भी दंग रह गये. लोगों का कहना है कि साल भर से ये जगह इसी तरह गंदगी से पटी है.


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करप्शन या कुछ और?


डेली मेल में प्रकाशित खबर के मुताबिक स्थानीय लोगों और अभिभावकों की कई शिकायतों के बावजूद यहां फैली गंदगी और कचरा साफ नहीं किया गया है. इसके बाद लोग प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि इस कचरे से उनके स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है. कुछ लोग इस हीलाहवाली को करप्शन से जोड़ कर देख रहे हैं. स्कूल का वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय नेता और लेबर पार्टी के सांसद ने समस्या का जल्द से जल्द समाधान करवाने की बात कही है.