पश्चिमी देशों के लोग होते हैं ज्यादा समझदार, अगर आप भी समझते हैं ऐसा तो जानिए हकीकत
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पश्चिमी देशों के लोग होते हैं ज्यादा समझदार, अगर आप भी समझते हैं ऐसा तो जानिए हकीकत

Reading Festival Venue convert in dumping ground in UK: ऐसे लोग जिम्मेदारी निभाने के मामले में एकदम जीरो हैं. आयोजन की तस्वीरें वायरल होने के बाद लोगों ने कहा ऐसे छात्रों को अफगानिस्तान (Afghanistan) में होना चाहिए था, जहां लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है.

पश्चिमी देशों के लोग होते हैं ज्यादा समझदार, अगर आप भी समझते हैं ऐसा तो जानिए हकीकत

नई दिल्ली: पश्चिमी देशों ने हमेशा से खुद को दुनिया का ठेकेदार बताया है. हम अक्सर सुनते हैं कि पश्चिमी देशों की सरकारें सजग होती हैं, वहां के नागरिक भी कर्तव्यनिष्ठ होते हैं. लेकिन इसकी असल सच्चाई हम अब आपको बताने जा रहे हैं. इंग्लैंड यानी ब्रिटेन (UK) के बर्कशाएर (Berkshire) में बीते दिनों रीडिंग फेस्टिवल (Reading Festival) का आयोजन हुआ था, जिसमें आए लाखों छात्र वहां इतना कचरा छोड़ गए कि उसे साफ करने में कई दिन लगेंगे. इस कचरे में 5 हजार से ज्यादा तो केवल टेंट हैं, इसके अलावा बियर की 10 हजार खाली केन (Beer Cans), प्लास्टिक की बोतलें  और ड्रग्स (Drugs) भी शामिल है. 

  1. जानिए पश्चिमी देशों की असली हकीकत
  2. इस रिपोर्ट से सामने आएगी बड़ी सच्चाई
  3. रीडिंग फेस्ट के वेन्यू को बनाया डंपिंग ग्राउंड

दाने-दाने की अहमियत का ध्यान नहीं

इसी आयोजन के दौरान परोसे गया भोजन (Food Items) इतना खराब हुआ कि उससे दो हजार लोगों का पेट भर सकता था. इस फेस्ट (Festival) में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर छात्र वो थे, जो जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के मुद्दे पर ब्रिटेन (UK) में बड़े-बड़े प्रदर्शनों का आयोजन कर चुके थे. इस खुलासे से साफ होता है कि हकीकत में ये लोग जिम्मेदारी निभाने के मामले में एकदम जीरो हैं. सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी तस्वीरें वायरल होने के बाद ब्रिटेन के कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि इन छात्रों को अफगानिस्तान (Afghanistan) में होना चाहिए था, जहां बहुत से लोगों को ऐसे टेंट तो दूर दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो रहा है.

 

पहले भी सामने आए ऐसे मामले

हालांकि ब्रिटेन से आई ये इस तरह की कोई पहली ख़बर नहीं है. पिछले दिनों ब्रिटेन के एक सांसद (MP) ने बताया था कि लंदन (London) में साल 2019 में क्लाइमेट चेंज को लेकर जो प्रदर्शन हुआ था, उसमें खुद को पर्यावरण कार्यकर्ता कहने वाले लोग अपने पीछे एक लाख किलोग्राम कचरा छोड़ गिए थे, जिसे साफ करने में 50 हजार पाउंड यानी 50 लाख रुपये खर्च हुए थे. हमारे देश में पश्चिमी देशों को ज्यादा ईमानदार, ज्यादा सजग और वहां के नागरिकों को ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है लेकिन इन देशों और उनके नागरिकों का असली चरित्र क्या है, वो अब आप समझ सकते हैं. 

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