Coronavirus: दुनिया की टॉप वैक्सीन की क्या है खासियत, एक दूसरे से कितनी हैं अलग?

नोवावैक्स: वैक्सीन अन्य वैक्सीन से थोड़ी अलग है. ये प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन है. जो स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ प्रतिक्रिया करती है. ये लैब में बनी प्रोटीन के आधार पर विकसित की गई है.

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वैक्सीन में अंतर जानिए

कोरोना महामारी से बचाव का सबसे बड़ा हथियार है वैक्सीन. दुनिया में अलग अलग देशों की कंपनों ने कोरोना वैक्सीन का निर्माण भी कर लिया है और जोर शोर से पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन का काम चल रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि सभी वैक्सीन एक जैसी नहीं हैं? और न ही उन्हें बनाने का प्रोसेस एक जैसा है. आइए, जानते हैं अलग अलग कंपनों की वैक्सीन में क्या अंतर है.

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ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका: इस कंपनी की वैक्सीन भारत में कोविशील्ड नाम से उपलब्ध है. अधिक तर देशों में भेजी जा रही वैक्सीन भी इसी कंपनी की है. दुनिया में सबसे बड़े वैक्सीन प्रोडक्शन कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट में यही वैक्सीन बनाई जा रही है. इस वैक्सीन में कोविड वायरस के स्पाइक के सात ही राइनोवायरस को मिक्स किया जाता है और फिर इसे वैक्सीन के तौर पर लगाया जाता है. इसके बाद शरीर में इम्यून सिस्टम एक्टिव होता है और कोविड रोधी एंटीबॉडी का निर्माण होता है. जो टी-शेल्स के माध्यम से कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा प्रदान करती है. 

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जॉनसन & जॉनसन

जॉनसन & जॉनसन: ये कंपनी जेनसेन नाम से कोरोना वैक्सीन बना रही है, जो सिंगल डोज है़. इसे कोरोना वैक्सीन की जेनेटिक सीक्वेसिंग के बाद तैयार किया गया है, जो शरीर को कोरोना वायरस के प्रति सचेत कर देता है और वो भी बिना किसी गंभीर बीमारी के. ये महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि क्योंकि अधिकतर कोरोना वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी के निर्माण से पहले व्यक्तियों में थोडी सी प्रतिक्रिया करती है. यही नहीं, इसे सामान्य फ्रिज में भी स्टोर करके रखा जा सकता है.

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फाइजर-बायोटेक

फाइजर-बायोटेक: इस कंपनी की वैक्सीन को एमआरएनए तकनीकी के इस्तेमाल से विकसित किया गया है. ये किसी वैक्सीन को निर्माण की सामान्य प्रक्रिया है. इसमें कोविड वायरस के स्पाइक प्रोटीन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके बाद शरीर में एंटीबॉडी बनती है. हालांकि इसका रखरखाव मुश्किल है और इसे रखने के लिए माइनस 70 डिग्री निम्न तापमान की जरूरत पड़ती है. 

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मॉडर्ना

मॉडर्ना: इस कंपनी की वैक्सीन भी एमआरएनए तकनीकी के इस्तेमाल से बनी है. मॉडर्ना की वैक्सीन पहली डोज में 50.8 प्रतिशत प्रभावी हा तो दूसरी डोज के बाद ये 92.1 फीसदी तक प्रभावी है. इसे सामान्य फ्रिज में भी स्टोर करके रखा जा सकता है. 

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नोवावैक्स

नोवावैक्स: नोवावैक्स वैक्सीन अन्य वैक्सीन से थोड़ी अलग है. ये प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन है. जो स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ प्रतिक्रिया करती है. ये लैब में बनी प्रोटीन के आधार पर विकसित की गई है. इसके दो डोज में तीन सप्ताह का अंतर रखा जाता है. ये वैक्सीन साउथ अफ्रीकी स्ट्रेन और यूके स्ट्रेन पर भी प्रभावी रही है. ये चीनी वैक्सीन है.

 

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