Fog Harvesting: जिस कोहरे को हम लोग आजकल कोस रहे हैं, कई देशों में होता है उसका सालभर इंतजार; जानिए क्यों
Fog-Harvesting Technology: आधे भारत में ठंड का डबल अटैक चल रहा है. उत्तर भारत (North India) के लोग शीलतहर (Cold wave) के साथ अब कोहरे (Fog) की मार भी झेल रहे हैं. कोहरा मौसम (Mausam) में ठंडे बढ़ने का इशारा होता है तो ये कई मुसीबतें भी साथ लेकर आता है. जिस कोहरे की वजह से भारतीय रेलवे (Indian Railways) और देश का हवाई यातायात बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है उसी घने कोहरे (Dense Fog) का दुनिया के कई देशों में बड़ी बेसब्री से इंतजार होता है. क्यों और कहा होता है ऐसा आइए बताते हैं.
ठंड में कोहरे का अटैक भले ही दुखी करता हो, लेकिन पानी की कमी झेल रहे देशों में इसका बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जाता है. पानी की कमी झेल रहे देशों के लिए यही कोहरा किसी वरदान (Boon) से कम नहीं है. इन देशों में फॉग कैचिंग और फॉग हार्वेस्टिंग का चलन तेजी से बढ़ा है. ये कुछ वैसा ही है, जैसे जिन घरों और सोसाइटी में नल का पानी बेहद लिमिटेड यानी कम समय के लिए आता है, वहां बड़े ड्रम या बर्तनों में पानी भरकर रख लिया जाता है.
कोहरा एक नेचुरल चीज होती है, जो तब आती है, जब नम हवा ठंडी होकर जमा होने लगती है. ये पानी की छोटी छोटी बूंदें होती हैं, जिसमें दृश्यता कम हो जाती है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक फॉग (Fog) के पर क्यूबिक मीटर में लगभग 0.5 ग्राम पानी होता है. ये पानी के साथ बहते हुए नीचे आता है, जब उसे धातु के बारीक बुने जाल में लेकर जमा किया जाता है. फिर आगे जब इसी पानी को प्रोसेस करके शुद्ध किया जाता है. इसी तकनीक को कहीं पर कोहरे की खेती और कहीं फॉग हार्वेस्टिंग (Fog-Harvesting) कहा जाता है.
दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के केप टाउन (Cape Town) में पहली बार फॉग कैचिंग की शुरुआत हुई. इसके बाद आगे चलकर 1987 में कनाडा (Canada) और इटली (Italy) में भी ये प्रयोग किया गया और इस तरह से सैकड़ों गांवों को पानी का एक नया सोर्स मुहैया कराया गया. आपको बताते चलें कि पराग्वे (Paraguay), इक्वाडोर (Ecuador), ओमान (Oman) और मैक्सिको (Mexico) में भी ये ट्रेंड चल रहा है.
फॉग हॉर्वेस्टिंग के लिए सबसे पहले सौ वर्ग मीटर के दो डिवाइस तैयार हुए, जो हवा से यहां वहां जाती फॉग को कैच करते और पाइप की मदद से नीचे एक कंटेनर में ले जाकर जमा कर देते थे. हालांकि स्टडी के पहले चरण में रोज 14 लीटर पानी जमा हो सका. ये पानी ज्यादा तो नहीं था, पर इसने एक उम्मीद को जन्म दिया. यही वजह है कि आज कई देशों में इसका इंतजार होता है. वैज्ञानिकों को ये समझ आ गया था कि फॉग एक तरह के नीचे उड़ते हुए बादल ही हैं, जिनसे पानी बन सकता है.
कनाडा और यूरोप के कुछ देशों में इस तकनीक से करीब 50 लीटर पानी रोज मुहैया कराया गया. यहीं से फॉग कैचिंग टर्म चल निकला. हालांकि इस खेती में कुछ कमियां भी हैं. जैसे हार्वेस्टिंग की इस तकनीक से कोहरे का 3 से 5 फीसदी हिस्सा ही जमा हो पाता है और बाकी बेकार चला जाता है.