Delhi Delaware gifted to Biden: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को चांदी से बने हस्तनिर्मित प्राचीन रेलगाड़ी का मॉडल उपहार में दिया. यह महाराष्ट्र के कारीगरों द्वारा तैयार की गई एक दुर्लभ और असाधारण कलाकृति है, जो भारतीय धातु शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाती है. अधिकारियों ने बताया कि इस प्राचीन कलाकृति में जटिल काम किया गया है और यह 92.5 फीसदी चांदी से बनी है. यह कलाकृति भाप इंजन चालित रेलगाड़ी (Steam engine train) के युग को समर्पित है. यह कलात्मक प्रतिभा और ऐतिहासिक महत्व का मिश्रण है.


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Indian Railways: 'भारतीय रेलवे'


भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाते हुए इस मॉडल में भारत में यात्री ट्रेन में प्रयुक्त मानक प्रारूप के आधार पर अंग्रेजी और हिंदी में मुख्य डिब्बे के दोनों ओर ‘दिल्ली-डेलावेयर’ और इंजन के दोनों ओर ‘भारतीय रेलवे’ (Indian Railways) लिखा गया है.


यह कलाकृति न केवल कारीगरी के असाधारण कौशल को दर्शाती है, बल्कि भारतीय रेलवे के लंबे इतिहास और इसके वैश्विक प्रभावों का एक शानदार प्रमाण भी है.


ट्रेन का इतिहास


गौरतलब है कि 1807 में ब्रिटेन के साउथ वेल्स में यात्रियों के लिए ट्रेन सेवा शुरू की गई थी. यह दुनिया की पहली यात्री ट्रेन थी. यह ट्रेन स्वानसी से आस्टरमाउट के लिए चली थी. जिसका टिकट दो शिलिंग का था. ट्रेन स्टीम इंजन से चलती थी. रेलगाड़ी के कोच लोहे और लकड़ी से बने हुए थे. जार्ज स्टीफेंसन को रेलवे का जनक माना जाता है. धीरे-धीरे ट्रेन की तकनीकी में विकास होता गया. ट्रेन कोयले से चलने लगी. इसके बाद डीजल इंजन और विद्युत लाइन ने रेलवे का कायाकल्प कर दिया.


सुल्तान, साहिब और सिंध


मोदी ने बाइडेन को भारतीय रेलवे से जुड़ा तोहफा सौंपा है उसके सिलसिले में बताते चलें कि भारत में पहली ट्रेन (India first and oldest train) 16 अप्रैल, 1853 को चली थी. यह ट्रेन तत्कालीन बॉम्बे के बोरीबंदर से ठाणे के बीच चली थी. भारतीय रेल एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है.


भारत में चली पहली ट्रेन को खींचने के लिए तीन इंजनों का इस्तेमाल किया गया था. इन इंजनों को अंग्रेजों ने पानी के जहाज के जरिए ब्रिटेन से मंगवाया था. भारत में आने के बाद उन इंजनों के नाम सुल्तान, साहिब और सिंध रख दिए गए थे.