Pompeii City Curse News: वरदान या अभिशाप जैसी कोई बात होती है या नहीं. इसे लेकर लोगों की राय अलग अलग है.लेकिन यहां पर हम रोमन साम्राज्य के एक ऐसे शहर पोंपई के बारे में बताएंगे जो 2100 साल पहले माउंट विसूवियस का शिकार हो गया. विसूवियस ज्वालामुखी आग उगल रहा था और पूरा शहर बर्बाद हो गया जो गुलजार रहा करता था. यहां सवाल है कि इस शहर और अभिशाप के बीच कनेक्शन क्या है. वैसे तो टूरिस्ट किसी आबाद शहर को देखना पसंद करते हैं. लेकिन बर्बाद पोंपई को देखने के लिए भी बड़ी संख्या में टूरिस्ट जाते है. वहां के पत्थरों को याद के तौर पर अपने साथ ले आते हैं. लेकिन उन पत्थरों ने कुछ पर्यटकों की जिंदगी में तूफान ला दिया.


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'पोंपई से सामान ले जा गलती की'

पोंपई ऑर्कियोलॉजिकल पार्क के निदेशक गैबरियल जुरिजेल ने एक लेटर को साझा किया. उस खत में एक पर्यटक अपनी परेशानी का जिक्र यूं करता है. वैसे तो मैं अभिशाप के बारे में नहीं जानकी. मुझे नहीं पता था कि अपने साथ पत्थरों को लेकर जाना चाहिए था. लेकिन पत्थरों को ले जाने के महज एक साल बाद ब्रेस्ट कैंसर हो गया. डाक्टर ने कहा था कि वो यंग और स्वस्थ है. कैंसर का होना सिर्फ बैड लक था. प्लीज आप मेरी अपोलोजी को स्वीकार करें और इन सामानों को वापस ले लें. इस तरह के और खत और सामानों को और लोगों ने भेजा है.



दो बार हो चुका है ब्रेस्ट कैंसर

2020 में एक पर्यटक ने खत भेजा था कि उसे दो बार ब्रेस्ट कैंसर हो चुका है. दूसरी बार जब कैंसर हुआ तो उसे दोनों ब्रेस्ट को निकलवाना पड़ा. वो और उसका परिवार फाइनेंसियल क्राइसिस का सामना कर रहा है. हम, अच्छे लोग हैं. अब मैं अपने परिवार और बच्चों को अभिशाप से बचाने के लिए इन सामानों को नहीं रखना चाहती.हालांकि ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो यह मानते हैं कि यह असंभव है कि पोंपई से कोई एक सामान अपने साथ ले जाए और एक साल के बाद उसे कैंसर हो जाएगा.


कुछ लोग यह कहते हैं कि यदि बड़ी संख्या में लोग पोंपई से सामान ले जाएं तो इसकी संभावना कम है कि उसमें से कोई एक कैंसर का सामना करेगा. उदाहरण के लिए यदि एन-आउट बर्गर से बड़ी संख्या में लोग सामान लेकर जाएं और उनमें से कुछ लोगों किसी तरह की परेशानी आ जाए तो इसका अर्थ यह नहीं है कि एन-एंड आउट बर्गर ही शापित है. ऐसे भी लोग हैं कि जिन्हें कैंसर नहीं हुआ या जो अपनी परेशानी को चिल्ला चिल्ला कर कहते हैं. मैंने यह पत्थर सालों पहले यहां से ले गया था लेकिन सबकुछ सही है. इसका अर्थ यह है कि यह सिर्फ आपकी सोच है कि किस तरह से आप किसी घटना की व्याख्या करते हैं.