वेटिकन सिटी : वर्ष भर चले हिंसा के दौर के बाद क्रिसमस की पूर्व संध्या पर पोप फ्रांसिस ने वेटिकन में बड़े जनसमूह को संबोधित करते हुए लोगों से ‘करूणा’ और ‘सौहार्द’ भाव को अपनाने का आह्वान किया। आज इसाई धर्मावलंबी क्रिसमस का त्यौहार मना रहे हैं।


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क्रिसमस की पूर्व संध्या पर पहली बार उनके (पोप के) संबोधन का थ्री डी के जरिए सीधा प्रसारण हुआ। अर्जेंटीना के धर्मगुरू का संक्षिप्त धर्म उपदेश इसाई धर्म के संदभरें से परिपूर्ण था।


प्रार्थना करने जुटे 5,000 लोगों से खचाखच भरे सेंट पीटर्स बेसिलिका में पोप ने यह सवाल किया, ‘क्या हमारे भीतर आसपास के लोगों की कठिनाइयों और समस्याओं को सहृद्यता के साथ स्वीकार करने का साहस है.?’ उन्होंने कहा, ‘या फिर, हमें औपचारिक समाधान को तरजीह देनी चाहिए, जो संभवत: प्रभावी तो हो सकता है लेकिन यह धार्मिक सौहार्द से विहीन होगा। आज दुनिया को सबसे अधिक सहृद्यता की आवश्यकता है ।’


दुनिया भर में रोमन कैथोलिक समुदाय के 1.2 अरब लोगों के अध्यात्मिक नेता ने लोगों से ‘अहंकार, घमंड और दूसरों से कटने की प्रवृत्ति को छोड़ नेकी और विनम्रता से जिंदगी जीने का आह्वान किया।’’ समारोह से पहले धर्मगुरू ने ईसाइयों के उत्पीड़न की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर की। इनमें से कुछ लोगों को तो उन क्षेत्रों से ‘क्रूरतापूर्वक निकाल दिया’ गया है, जहां वे न्यू टेस्टामेंट के दौर से रह रहे थे। फ्रांसिस ने इराक के कुर्द स्वायत्त क्षेत्र में विस्थापित हुए शरणार्थियों को टेलीफोन के जरिए क्रिसमस का संदेश भेजा।


एक प्रेस एजेंसी ने पोप के हवाले से बताया, ‘प्यारे भाइयों.. मैं आपके करीब हूं.. आप सब मेरे दिल के बेहद करीब हैं..।’ फ्रांसिस ने अंकावा शिविर में रह रहे इराकी शरणार्थियों से कहा, ‘बच्चे और बुजुर्ग सभी मेरे दिल में बसते हैं।’