पेरिस जलवायु समझौते को ट्रम्प ने दिया तलाक, भारत समेत पूरी दुनिया हुई नाराज
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के पीछे हटने की स्तब्ध करने वाली घोषणा की है और ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने के प्रयासों को अधर में डाल दिया है. इस पर नाराजगी जताते हुए भारत समेत विश्व के तमाम देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम नहीं उठाना नैतिक अपराध होगा।
वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के पीछे हटने की स्तब्ध करने वाली घोषणा की है और ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने के प्रयासों को अधर में डाल दिया है. इस पर नाराजगी जताते हुए भारत समेत विश्व के तमाम देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम नहीं उठाना नैतिक अपराध होगा।
ट्रम्प ने व्हाइट हाउस रोज गार्डन से दिए अपने संबोधन में घोषणा की कि अमेरिका 195 देशों के खराब समझौते का क्रियान्वयन तत्काल रोकेगा, उन्होंने कहा, मेरी समझ में मैं ऐसे समझौते का समर्थन नहीं कर सकता जो अमेरिका को सजा देता है. यह समझौता हमारे देश पर भारी वित्तीय एवं आर्थिक बोझ पैदा करता है.
ट्रंप ने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा किए गए इस समझौते को ऐसा संधि पत्र करार दिया जो अमेरिका को पहले नहीं रखता और आर्थिक प्रतिद्वंद्वियों भारत, चीन एवं यूरोप के लिए लाभकारी है. उन्होंने कहा, मुझे पिट्सबर्ग का प्रतिनिधित्व करने के लिए निर्वाचित किया गया है ना कि पेरिस का, मैं नहीं चाहता कि अन्य नेता और अन्य देश अब हम पर और हंसे, अब वे ऐसा नहीं करेंगे.
ट्रंप ने यह नहीं बताया कि इस समझौते से अमेरिका के अलग होने की प्रक्रिया औपचारिक रूप से कब और कैसे शुरू होगी. उन्होंने एक समय यह संकेत दिया कि फिर से वार्ता हो सकती है. ट्रंप ने कहा, हम इससे बाहर हो रहे हैं लेकिन फिर से बातचीत शुरू करेंगे और हम देखेंगे कि क्या हम एक ऐसा समझौता कर सकते हैं जो उचित हो। अगर हम कर सकें तो यह अच्छा होगा और अगर नहीं कर सकें तो भी कोई बात नहीं.
ट्रंप के इस विचार को यूरोप के उसके गुस्साए सहयोगियों समेत कई देशों ने खारिज कर दिया. फ्रांस, जर्मनी और इटली ने एक संयुक्त बयान में कहा, समझौते पर फिर से वार्ता नहीं हो सकती. अमेरिका चीन के बाद ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है इसलिए ट्रंप के इस फैसले से उत्सर्जन कम करने एवं वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने के प्रयासों पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
इस फैसले के बारे में बात करने के लिए ट्रंप ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैन्युएल मैक्रोन और ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा में एवं कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुदू को फोन किया. लेकिन अमेरिका के परंपरागत सहयोगियों ने ट्रंप के फैसले की अप्रत्याशित तरीके से ऐसे समय में निंदा की जब नए राष्ट्रपति के चयन के बाद से इन संबंधों में पहले ही तनाव पैदा हो गया है.
जर्मनी ने कहा कि अमेरिका पूरे ग्रह को नुकसान पहुंचा रहा है. यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाउदे जंकर ने इस फैसले को बिल्कुल गलत करार दिया. इस घोषणा के मद्देनजर टेस्ला और स्पेसएक्स के प्रमुख एलन मस्क और डिज्नी प्रमुख राबर्ट इगर ने घोषणा की कि वे राष्ट्रपति की कारोबारी परिषदों में अब शामिल नहीं होंगे.