Graveyard of Empires Afghanistan: मुगलों, अंग्रेजों ने दुनिया के कई देशों पर शासन किया. भारत भी इस लिस्ट में शामिल है. लेकिन एक मुस्लिम देश ऐसा है, जिस पर राज करने का सपना किसी राजा का पूरा नहीं हुआ.
Trending Photos
Afghanistan nickname Graveyard of Empires: अफगानिस्तान ऐसा देश है जिसे 'ग्रेवयार्ड ऑफ एम्पायर्स' यानी कि 'साम्राज्यों का कब्रिस्तान' कहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इस देश पर राज करने के लिए जो भी आया उसे मुंह की खानी पड़ी. यदि वह कुछ समय के लिए जीतता हुआ भी लगा तो भी उसे थोड़े समय बाद बोरिया-बिस्तर समेटकर यहां से जाना ही पड़ा. फिर चाहे वह बाबर हो, सिकंदर हो या अंग्रेज हों. शासकों के लिए अफगानिस्तान पर शासन करना हमेशा टेढ़ी खीर रहा और इसके पीछे कुछ खास वजहें भी हैं. शासकों की इन हार की कहानियों ने ही अफगानिस्तान को एक दूसरा नाम भी दिया - 'साम्राज्यों का कब्रिस्तान'.
यह भी पढ़ें: कंगाल पाकिस्तान से हथियार खरीद रहा बांग्लादेश, पैसों की डील सुनकर दया आ जाएगी!
हर बार मारे गए अफगानी सैनिक
जब भी अफगानिस्तान पर किसी शासक ने राज करने के लिए हमला किया हजारों अफगानी सैनिकों का खून बहा. स्टैटिस्टा रिसर्च की तरफ से अफगानिस्तान में हुए युद्धों में मारे गए सैनिकों की संख्या के बारे में बताया गया है. इसके अनुसार सबसे ज्यादा अफगानी सैनिक सोवियत अफगान वॉर में मारे गए. इस युद्ध में 14, 453 सैनिकों की जान गई. इसके अलावा अफगान एंग्लो वॉर में करीब 10 हजार सैनिक मारे गए.
यह भी पढ़ें: पाकिस्तानियों के लिए जी का जंजाल बनी कजिन मैरिज, बच्चों को हो रहीं खतरनाक बीमारियां
दुर्गम भौगोलिक स्थिति बनती है वजह
अफगानिस्तान पर किसी भी साम्राज्य या बड़ी शक्ति द्वारा स्थाई तौर पर राज ना कर पाने के पीछे बड़ी वजह यहां की दुर्गम भौगोलिक स्थिति है. साथ ही इस पर हमेशा दुश्मनों का खतरा रहता है. जिससे कोई शासक यहां सुकून से राज ही नहीं कर पाता है. अफगानिस्तान का अधिकतर हिस्सा पहाड़ी है. 800 किलोमीटर लंबी हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला अफगानिस्तान को दो हिस्सों में बांट देती है. अफगानिस्तान का 75% हिस्सा पहाड़ी है. लोगों की बसावट घाटियों में ही रहती है.
बाबर से अंग्रेज तक सब हारते गए
2 दशकों की लड़ाई के बाद बाबर काबुल में कब्जा जमाने में कामयाब रहा. लेकिन काबुल में दफन होने की उसकी ख्वाहिश उसकी मौत के 9 साल बाद पूरी हो पाई. बाबर की मौत के बाद पहले उसे आगरा में दफनाया गया. फिर करीब 9 वर्षों के बाद हुमायूं ने उसकी इच्छा पूरी की और उसे काबुल में दफनाया.
वहीं सिकंदर महान के बारे में कहा जाता है कि वह थोड़े प्रतिरोध के बाद इस साम्राज्य को हासिल करने में कामयाब रहा, लेकिन लौटते वक्त उसकी मौत के बाद भारत के मौर्य साम्राज्य ने अधिकांश अफगानिस्तान को नियंत्रित किया.
इसके बाद अंग्रेज ने भी भारत आने के बाद 3 बार अफगानिस्तान को जीतने के लिए लंबी लड़ाइयां लड़ीं. लेकिन रूस के हस्तक्षेप के चलते अंग्रेज यहां स्थाई कब्जा नहीं जमा पाए.