Gazprom sanatorium: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के रहस्यमयी सीक्रेट बंकर के एक हिस्से में आग लगने से क्षति पहुंची है. अल्ताई माउंटेन में मौजूद इस आलीशान बंगले में पुतिन अक्सर आते रहते हैं. ऐसा माना जाता है कि कोरोना महामारी के दौरान भी पुतिन इसी बंकर में कई दिनों तक ठहरे थे. अल्ताई पर्वत की अनौपचारिक यात्राओं के दौरान भी पुतिन कई बार इस "सेनेटोरियम" में ठहरे हैं.


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हालांकि, इस सीक्रेट बंकर में आग कैसे लगी यह एक रहस्य बनी हुई है. आरोप लगाया जा रहा है कि इसमें यूक्रेन का हाथ हो सकता है. क्योंकि अमेरिका से यूक्रेन को हथियार मिलने के बाद यूक्रेनी सेना ने रूसी क्षेत्रों के अंदर हमला किया था. इस हमले के कुछ ही घंटों के बाद इस बंकर में आग लगने की खबर सामने आई. यह भी स्पष्ट नहीं है कि परिसर के मुख्य आवास को किसी तरह की क्षति पहुंची है या नहीं. पुतिन के इस आलीशान बंगले में आग लगने की खबर ब्लॉगर अमीर एताशेव और एक्टिविस्ट अरुणा अर्ना ने दी है.


कितना खास है यह सीक्रेट बंकर 


पुतिन का यह आलीशान महल अल्ताई माउंटेन के ओंगुडेस्की जिले में है जो मंगोलिया, चीन और कजाकिस्तान की सीमा से लगे साइबेरिया का क्षेत्र है. इसी बंकर में राष्ट्रपति पुतिन ने एक बार इटली के पूर्व प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी के लिए मनोरंजन की व्यवस्था की थी. इस बंकर के पास आम लोग नहीं जा सकते हैं.


आम रूसी नागरिक को अल्ताई यार्ड नाम के इस कुलीन ठिकाने के पास जाने की इजाजत नहीं है. सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि यह देश के वरिष्ठ अधिकारियों के मनोरंजन के लिए बनाई गई एक विशेष संरक्षित सुविधा है. रिपोर्ट के मुताबिक,  इस हाई-टेक बंकर का इस्तेमाल परमाणु युद्ध की स्थिति में पुतिन और उसके परिवार के लिए किया जा सकता है.


आधुनिक सुविधाओं से लैस है पुतिन का सीक्रेट परमाणु बंकर


बंकर के आस-पास गए पर्यवेक्षकों का कहना है कि अल्ताई पहाड़ के आसपास के मैदानों में कई वेंटिलेशन बिंदुओं और एक अति-आधुनिक 110 किलोवाट सबस्टेशन से जुड़ी एक हाई वोल्टेज लाइन को देखा है जो एक छोटे शहर को बिजली देने के लिए पर्याप्त है.


कहा जाता है कि इस बंकर के निर्माण के दौरान सुरंग खोदने के लिए जर्मनी के विशेषज्ञों को बुलाया गया था.  अल्ताई माउंटेन में मौजूद पुतिन के इस आवास को गज़प्रोम सेनेटोरियम के नाम से रजिस्टर्ड किया गया है.


दक्षिणी यूक्रेनी बेस्ड न्यूज वेबसाइट ओडेसा जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 3 बिलियन रूबल की लागत से बने इस आलीशान बंगले  के बारे में सबसे पहले 2009-2010 में पता चला. साल 2011 में नोवाया गजेटा के साथ एक संयुक्त जांच के हिस्से के रूप में कुछ पत्रकारों ने सेनेटोरियम में प्रवेश करने की कोशिश की थी. लेकिन देश के शीर्ष अधिकारियों के लिए सुविधा की विशेष स्थिति का हवाला देते हुए सुरक्षा अधिकारियों ने प्रवेश देने से इनकार कर दिया.