मॉस्को: रूस ने इंटरनेट की दुनिया की बड़ी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है. रूसी नीति निर्माताओं ने मंगलवार को ऐसे कानून को पास कर दिया, जिसमें ये साफ साफ लिखा है कि जिन इंटरनेट कंपनियों के रूस में 5 लाख से ज्यादा यूजर हैं, उन्हें रूस में अपना दफ्तर खोलना होगा. वर्ना सरकार उनपर पेनल्टी लगाएगी या फिर उन्हें ब्लॉक कर देगी.


सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि ये कंपनियां कई क्षेत्रों को करती हैं प्रभावित


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एक रूसी नेता ने कहा कि ये बड़ी कंपनियां न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से बड़ी हैं, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों में तानाशाही भी चलाने लगी हैं. ये कंपनियां बहुत कुछ कंट्रोल करती हैं. रूस के निचले सदन में पास हुए इस बिल के मुताबिक, जिन विदेशी इंटरनेट कंपनियों का यूजर बेस 5 लाख से ज्यादा है, उन्हें रूस में स्थानीय दफ्तर खोलना ही होगा.ऐसा न करने पर जुर्माने के साथ बैन भी लगाया जा सकता है.


कंटेंट हटाने की भी मांग


रूस के इंटरनेट रेगुलेटरी ने इंटरनेट कंपनियों से कंटेंट भी हटाने को कहा है. रूस की एक अदालत ने गूगल पर एक कंटेंट न हटाने के चलते 60 लाख रुबल यानि 81000 डॉलर का जुर्माना लगाया था. ये कंटेंट विपक्षी नेता नवेलनी से जुड़ा था.


यूजर डेटा को लेकर भी दिया आदेश


रूस ने फेसबुक और ट्विटर से देश के भीतर 1 जुलाई से सभी रूसी यूजर्स का डेटा रीस्टोर करने या फिर जुर्माने का सामना करने का आदेश दिया है. इसके पहले मार्च में सरकार द्वारा अवैध बताए गए कंटेंट को ट्विटर से न हटाने के बाद अधिकारियों ने ट्विटर पर पोस्ट देखना और उसे भेजने को कठिन बना दिया था. नियामक के अनुसार ट्विटर से आदेशों का पालन करने के लिए 6000 पोस्ट हटाए हैं वहीं अधिकारियों ने फेसबुक को भी ऐसे ही जुर्माने की धमकी दी है.